भारत ने शनिवार को स्वच्छ ऊर्जा, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था पर केंद्रित प्रमुख समझौतों के साथ-साथ समृद्धि के लिए अमेरिका के पहल वाली इंडो-पैसिफिक इकॉनमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के तहत व्यापक प्रबंध पर मुहर लगाते हुए हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री की क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए तीन दिवसीय यात्रा के दौरान इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
आईपीईएफ एक 14 सदस्यीय समूह है जिसकी शुरुआत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने दो वर्ष पहले इस मकसद से की कि सदस्य देशों के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा और संपन्नता बढ़ाई जा सके। इसका मसौदा चार प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित है जो व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था से जुड़ा है।
भारत ने इस वर्ष फरवरी में आपूर्ति श्रृंखला बाधित न हो इसके लिए समझौते का समर्थन किया और व्यापार के इस महत्वपूर्ण मामले के लिए पर्यवेक्षक का अपना दर्जा बनाए रखा। आईपीईएफ में भारत के अलावा 13 अन्य सदस्यों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
यह समग्र आईपीईएफ समझौता एक मंत्रिस्तरीय निरीक्षण तंत्र स्थापित करने के लिए एक प्रशासनिक समझौता है। इसका उद्देश्य स्तंभ दो, तीन और चार के ‘प्रभावी क्रियान्वयन’की सुविधा देना है। इन तीन स्तंभों में यह क्षमता है कि आत्मनिर्भरता के सिद्धांत के साथ भारत की उत्पादक क्षमता को बढ़ाते हुए इसका एकीकरण आपूर्ति श्रृंखला के साथ करते हुए नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
रविवार को वाणिज्य विभाग ने एक बयान में कहा, ‘इस समझौते के तहत मंत्रिस्तरीय स्तर पर एक उच्चस्तरीय राजनीतिक निगरानी तंत्र स्थापित करने की पहल की जानी है और आईपीएफ के लिए सामान्य दिशानिर्देश और लक्ष्य स्थापित किए जाएंगे जिसमें नेताओं का नजरिया भी होगा। इस समझौते में मुख्यतौर पर प्रशासनिक और संस्थागत प्रावधान शामिल हैं।’
बयान में कहा गया, ‘यह समझौता समूह को पहचान देने के साथ ही आईपीएफ की लंबी साझेदारी को बरकरार रखेगा। इसके लिए एक औपचारिक प्रणाली तैयार करने के साथ ही विभिन्न उभरते मुद्दों आदि पर मंत्रिस्तरीय चर्चा के लिए एक मंच तैयार करना होगा। ’
दिल्ली के एक थिंक टैंक जीटीआरआई का कहना है कि भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को औपचारिक रूप दे दिया है और अब यह अहम है कि सरकार उद्योग के सभी हितधारकों को हस्ताक्षरित समझौते से जुड़े विस्तृत ब्योरा दे।
जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘कारोबार जगत के लोग यह जानना चाहते हैं कि इन प्रतिबद्धताओं से विभिन्न क्षेत्रों पर क्या असर पड़ेगा, इसके अनुपालन से जुड़ी क्या जरूरतें होंगी और दीर्घावधि में नीतिगत लक्ष्य क्या होंगे।’