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बैंकों, एनबीएफसी व कंपनियों की बैलेंस शीट साफ करे भारत

Last Updated- December 15, 2022 | 3:46 AM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के कदम उठाने के साथ कोविड-19 के हमले के पहले अगर मध्यावधि के हिसाब से कोई असंतुलन है तो ऐसी स्थिति में बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों व कॉर्पोरेट के बैलेंस शीट को तेजी से साफ करने का सुझाव दिया है।
बाह्य क्षेत्र पर अपनी रिपोर्ट में आईएमएफ ने यह भी कहा है कि भारत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रशासन मजबूत करने की जरूरत है।
चालू वित्त वर्ष में देश का चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 0.3 प्रतिशत रहने की बात करते हुए फंड ने कहा है कि कारोबारी माहौल में सुधार, घरेलू आपूर्ति के व्यवधान दूर कर और कारोबार व निवेश को उधार बनाना अहम है, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने, चालू खाता वित्तपोषण मिक्स में सुधार और बाहरी कमजोरियों से सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी।
आईएमएफ ने कहा, ‘चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी का 0.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो मुख्य रूप से तेल के दाम कम रहने और कमजोर घरेलू मांग के कारण आयात घटने की वजह से होगा।’ 
इसमें कहा गया है कि पोर्टफोलियो के धीरे धीरे उदारीकरण पर भी विचार किया जा सकता है, जब पोर्टफोलियो प्रवाह उलटने के जोखिम की निगरानी हो।
बहरहाल अर्थशास्त्री इस बात से सहमत नहीं है कि वित्त वर्ष  21 में चालू खाते का घाटा होगा। दरअसल इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने चालू खाते का संतुलन 0.9 प्रतिशत अधिशेष के रूप में रहने का अनुमान लगाया है।
उन्होंने कहा, ‘आयात की तुलना में निर्यात तेजी से सामान्य होने, कच्चे तेल के दाम सुधार के साथ स्थिर होने और त्योहारी मेंं सोने की मांग बहाल होने व आर्थिक अनिश्चितता के कारण कर्मचारियों द्वारा धन भेजे जाने में कमी के कारण हम उम्मीद करते हैं कि चालू खाते का अधिशेष वित्त वर्ष  2021 मेंं 22 से 27 अरब डॉलर या जीडीपी का करीब 0.9 प्रतिशत रहेगा।’

First Published - August 5, 2020 | 12:05 AM IST

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