भारत सरकार द्वारा देश में रेयर-अर्थ मैग्नेट्स (rare-earth magnets) के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की एक प्रस्तावित योजना में कई बड़े कॉरपोरेट समूहों ने शुरुआती रुचि दिखाई है। इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (electric-vehicles) और विंड टर्बाइन (wind-turbine) जैसे सेक्टर्स में अहम भूमिका निभाने वाले इन महत्वपूर्ण मैटेरियल्स के लिए चीन पर निर्भरता को कम करना है। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
ब्लूमबर्ग ने इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से बताया कि सरकार प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के निर्माण के लिए करीब 2,500 करोड़ रुपये तक की प्रोत्साहन योजना शुरू करने की तैयारी में है।
अरबपति अनिल अग्रवाल के वेदांत ग्रुप, सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाला जेएसडब्ल्यू ग्रुप और ईवी पार्ट्स बनाने वाली सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिशन फोर्जिंग्स लिमिटेड उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस पहल में रुचि दिखाई है।
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जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इस पॉलिसी के ब्लूप्रिंट को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रोत्साहन योजना के लिए अंतिम बजट अब भी आंतरिक विचार-विमर्श के अधीन है और इसमें बदलाव हो सकता है।
भारत इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर रहा है क्योंकि चीन, जो दुनिया की करीब 90% रेयर-अर्थ्स प्रोसेसिंग पर नियंत्रण रखता है, ने अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध के बीच इन तत्वों के निर्यात पर सख्ती बढ़ा दी है। इसके चलते वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियों की सप्लाई चेन बाधित हुई है, जिनमें भारत में काम करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं।