अर्थव्यवस्था

अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: भारत-पाक व्यापार पर पूरी तरह ब्रेक, लेकिन किसे कितना नुकसान; एक्सपर्ट और आंकड़ों से समझें

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया है। यह दोनों देशों के बीच जमीनी व्यापार का एकमात्र रास्ता है।

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ऋषभ राज   
Last Updated- April 25, 2025 | 6:55 PM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच चुका है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। इस हादसे के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। इसमें 60 साल से पुराने सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना, पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करना, पाकिस्तान दूतावास के सभी अधिकारियों को वापस भेजने आदि जैसे फैसले शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को तत्काल प्रभाव से बंद करने का ऐलान किया है। अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का एकमात्र जमीनी रास्ता है। सरकार के इस फैसले ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को लगभग पूरी तरह रोक दिया है।

अटारी-वाघा बॉर्डर: व्यापार का महत्वपूर्ण रास्ता

अटारी-वाघा बॉर्डर, जो भारत के पंजाब में अमृतसर से 28 किलोमीटर और पाकिस्तान के लाहौर से 24 किलोमीटर की दूरी पर है, दोनों देशों के बीच व्यापार का एकमात्र जमीनी मार्ग रहा है। यह न केवल व्यापार के लिए बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। हर शाम होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी दोनों देशों के जवानों के बीच एक अनोखा प्रदर्शन है, जो हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है। लेकिन व्यापार के लिहाज से यह चेकपोस्ट दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी थी।

लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023-24 में इस बॉर्डर के जरिए 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जिसमें 6,871 ट्रकों की आवाजाही और 71,563 यात्रियों का आना-जाना शामिल था। इसके अलावा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2024 से जनवरी 2025) में भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रोक के बावजूद 447.7 मिलियन डॉलर (लगभग 3,720 करोड़ रुपये) का सामान निर्यात किया।

इन निर्यातों में मुख्य रूप से जरूरी सामान शामिल थे। इसमें दवाइयां 110.1 मिलियन डॉलर (लगभग 915 करोड़ रुपये), दवाओं के कच्चे माल (एपीआई) 129.6 मिलियन डॉलर (लगभग 1,077 करोड़ रुपये), चीनी 85.2 मिलियन डॉलर (लगभग 708 करोड़ रुपये), ऑटो पार्ट्स 12.8 मिलियन डॉलर (लगभग 106 करोड़ रुपये), उर्वरक 6 मिलियन डॉलर (लगभग 50 करोड़ रुपये) आदि मुख्य रूप से शामिल थे।

दूसरी ओर, पाकिस्तान से भारत का आयात बहुत कम रहा, जो मात्र 0.42 मिलियन डॉलर (लगभग 3.5 करोड़ रुपये) था। इसमें कुछ खास कृषि उत्पाद शामिल थे, जैसे अंजीर: 78,000 डॉलर (लगभग 65 लाख रुपये), जड़ी-बूटियां (तुलसी और रोजमेरी) 18,856 डॉलर (लगभग 16 लाख रुपये) आदि।

यह आंकड़ा दर्शाता है कि भले ही 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से आयात पर 200% शुल्क लगा दिया था और ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा वापस ले लिया था, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार जारी रहा।

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क्या-क्या सामान था व्यापार में शामिल?

अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए होने वाला व्यापार मुख्य रूप से रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ा था। भारत से पाकिस्तान को कई तरह के खाद्य पदार्थ और कच्चा माल निर्यात किया जाता था। आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत से सोयाबीन, पोल्ट्री फीड, सब्जियां (जैसे आलू, प्याज, टमाटर), लाल मिर्च, प्लास्टिक दाना, और प्लास्टिक यार्न जैसी चीजें निर्यात होती थीं। इसके अलावा, पंजाब से स्ट्रॉ रीपर्स (कृषि उपकरण) भी पाकिस्तान को भेजे जाते थे, जो वहां के किसानों के लिए महत्वपूर्ण थे।

वहीं, पाकिस्तान से भारत को सूखे मेवे (बादाम, पिस्ता, किशमिश, अंजीर), सूखी खजूर, जिप्सम, सीमेंट, कांच, रॉक सॉल्ट, और अलग-अलग जड़ी-बूटियां आयात की जाती थीं। इस रास्ते से ही अफगानिस्तान से आने वाले सामान, खासकर सूखे मेवे, भी भारत इसी रास्ते से पहुंचते थे। इसी के चलते यह बॉर्डर अफगानिस्तान के साथ भारत के व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि अफगान सामान पाकिस्तान के रास्ते इस चेकपोस्ट से भारत आता था।

व्यापार की वैल्यू: कितना था कारोबार?

अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए होने वाले व्यापार की वैल्यू समय के साथ उतार-चढ़ाव से गुजरी है। लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 में इस मार्ग से 4,370.78 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था, जो 2022-23 में घटकर 2,257.55 करोड़ रुपये रह गया। लेकिन 2023-24 में इसमें उछाल आई और व्यापार बढ़कर 3,886.53 करोड़ रुपये हो गया। इस दौरान 6,871 कार्गो मूवमेंट्स दर्ज किए गए, जो व्यापारिक गतिविधियों में हल्की रिकवरी का संकेत देते हैं।

हालांकि, दोनों देशों के बीच सीधा व्यापार 2019 के बाद से काफी कम हो गया था। 2019 में भारत ने पाकिस्तान से व्यापार पर सख्ती की और पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में भारत के साथ व्यापार रोक दिया था। फिर भी, तीसरे देशों (जैसे दुबई) के जरिए अप्रत्यक्ष व्यापार चलता रहा।

Year
Total Trade (Crores)
Total Cargo Movement (Nos)
Total Passenger Movement (Nos)
2017-18
4,148.15
48,193
80,314
2018-19
4,370.78
49,102
78,471
2019-20
2,772.04
6,655
78,675
2020-21
2,639.95
5,250
6,177
2021-22
3,002.38
4,812
10,342
2022-23
2,257.55
3,827
67,747
2023-24
3886.53
6,871
71,563

सोर्स: लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया

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व्यापार बंद होने का असर: क्या होगा बदलाव?

अटारी-वाघा बॉर्डर के बंद होने से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और स्थानीय लोगों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। इस फैसले से पंजाब, खासकर अमृतसर और आसपास के इलाकों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। इस व्यापार पर करीब 5,000 लोग, जैसे ट्रांसपोर्टर, पोर्टर, दुकानदार, और छोटे व्यापारी, सीधे तौर पर निर्भर थे। न्यूज वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में एक गन्ने के रस बेचने वाले धरम सिंह के हवाले से कहा गया कि यह चेकपोस्ट 50 गांवों के लोगों की आजीविका का स्रोत थी।

पाकिस्तान के लिए यह नुकसान और बड़ा हो सकता है। पाकिस्तान भारत से सस्ते दामों पर फल, सब्जियां, फार्मास्यूटिकल्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स, और चीनी जैसी चीजें आयात करता था। अब उसे ये सामान तीसरे देशों से ऊंची कीमतों पर खरीदना होगा, जो उसकी पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल होगा। कराची स्टॉक एक्सचेंज में 24 अप्रैल 2025 को 2,500 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जो भारत के इस फैसले के बाद निवेशकों के डर को दर्शाती है।

इसके अलावा, अफगानिस्तान के साथ भारत का व्यापार भी प्रभावित होगा, क्योंकि अफगान सामान इस मार्ग से होकर भारत आता था। इस बंदी से अफगानिस्तान से सूखे मेवों की आपूर्ति में रुकावट आ सकती है, जिससे भारत में इनके दाम बढ़ सकते हैं।

पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में भारत से किसी भी देश के जरिए सामान न खरीदने का फैसला लिया है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के लिए और मुश्किलें खड़ी करेगा, क्योंकि भारत से सस्ता और आसानी से उपलब्ध सामान अब उसे कहीं और से आयात करना होगा। पाकिस्तान की पहले से चरमराती अर्थव्यवस्था पर इस फैसले का गहरा असर पड़ेगा।

इकोनोमिस्ट और फॉरेन ट्रेड एक्सपर्ट लेखा चक्रवर्ती कहती हैं, “वाघा-अटारी बॉर्डर बंद होने के कारण दोनों देशों के सापेक्ष व्यापार घाटे पर अलग-अलग प्रभावों का विश्लेषण करना अभी जल्दबाजी होगी। नुकसान तो होगा ही। हालांकि, व्यापार घाटा निश्चित रूप से पूरी तरह एकतरफा नहीं हो सकता, लेकिन पाकिस्तान ज्यादा प्रभावित होगा।”

वह आगे कहती हैं, “यह फैसला दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और जटिल बनाएगा। अटारी-वाघा बॉर्डर, जो कभी व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक था, अब पूरी तरह बंद है। इसका असर न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी देखने को मिलेगा। दोनों देशों के बीच व्यापार की यह कहानी अब एक अनिश्चित मोड़ पर खड़ी है।”

First Published : April 25, 2025 | 6:07 PM IST