वित्त-बीमा

एनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू में

इस वर्ष 1 अप्रैल से लागू हुए तीसरे सुरक्षा उपायों के बाद एमफिन द्वारा प्रति ऋणदाता सूक्ष्म ऋणदाताओं की संख्या तीन तक सीमित कर दी गई

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मनोजित साहा   
Last Updated- October 23, 2025 | 11:27 PM IST

सूक्ष्म वित्त उद्योग नेटवर्क (एमफिन) द्वारा पिछले साल की गई सख्ती के बाद से छोटे ऋणदाताओं पर कर्ज का बोझ काबू में है। हालांकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और फिनटेक फर्में अब इस सेगमेंट में उधार दे रही हैं जिस पर नियामक की बारीक नजर है।

इस बीच बैंकों द्वारा सूक्ष्म वित्त संस्थानों को कर्ज देने से सतर्कता बरतने से इस क्षेत्र का समग्र ऋण पोर्टफोलियो 2024 से 22 फीसदी घट गया है और करीब 4 लाख उधारकर्ता औपचारिक फाइनैंस से बाहर हो गए हैं।

इस वर्ष 1 अप्रैल से लागू हुए तीसरे सुरक्षा उपायों के बाद एमफिन द्वारा प्रति ऋणदाता सूक्ष्म ऋणदाताओं की संख्या तीन तक सीमित कर दी गई।

सीआरआईएफ हाई मार्क से एमफिन द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि 88.7 फीसदी सूक्ष्म उधारकर्ताओं के पास 2 या उससे कम उधारदाता थे और केवल 6.7 फीसदी के पास तीन उधारदाता थे। पहले प्रति उधारकर्ता 5 या अधिक उधारदाता होते थे। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 73 फीसदी ग्राहकों पर 60,000 रुपये से कम का कर्ज बकाया है और 20.3 फीसदी पर 60,000 रुपये से 1.2 लाख रुपये के बीच कर्ज है। 5.7 फीसदी कर्जदारों पर 1.2 लाख से 2 लाख रुपये के बीच बकाया कर्ज है।

हालांकि एमफिन के लिए उधारकर्ता की संख्या सीमिति करने के बाद एनबीएफसी और फिनटेक ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और अंतर को भरने के लिए इस सेगमेंट में प्रवेश किया। इससे चिंता बढ़ गई है क्योंकि इन संस्थाओं को सूक्ष्म वित्त संस्थानों की तरह एसआरओ नियमों का पालन करना अनिवार्य नहीं है और इससे फिर से उधारकर्ता के कर्ज में फंसने के मामले बढ़ सकते हैं।

एमफिन नियामक को इस मुद्दे से अवगत कराने की योजना बना रहा है कि अन्य प्रकार के उधारदाता बिना मानदंडों का पालन किए इस खंड में प्रवेश कर रहे हैं।

सूक्ष्म वित्त कर्ज को 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले घर को बिना किसी जमानत के ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है। यह क्षेत्र पिछले साल शुरू हुए दाबाव से धीरे-धीरे उबर रहा है लेकिन बैंक फंडिंग की किल्लत से सुधार में देरी हो रही है। बैंकों ने न केवल इस क्षेत्र को कर्ज देने में सतर्कता बरती है बल्कि उन्होंने सूक्ष्म वित्त संस्थानों को कर्ज देने की गतिविधि भी धीमी कर दी है।

इसके परिणामस्वरूप उद्योग के कुल ऋण पोर्टफोलियो में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2025 में एनबीएफसी-एमएफआई को बैंक फंडिंग 57,307 करोड़ रुपये थी जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 89,156 करोड़ रुपये थी। एक सूत्र ने कहा कि इस साल आंकड़ा और घट गया है।

First Published : October 23, 2025 | 10:28 PM IST