भारत जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन भारत तकनीक अपनाने, कुशल श्रमिक और अनुसंधान व विकास जैसे अहम मामलों में जापान से काफी पीछे हैं। भारत के नीति आयोग द्वारा “Designing a Policy for Medium Enterprises” नाम से आज जारी रिपोर्ट में मीडियम (मध्यम) उद्योगों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया गया है। उनमें तकनीक अपनाने, कुशल श्रमिक और अनुसंधान व विकास, वित्तीय उत्पादों तक पहुंच आदि शामिल हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई सेक्टर भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29 प्रतिशत योगदान देता है। साथ ही 60 प्रतिशत से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है। मध्यम उद्योग एमएसएमई का केवल 0.3 प्रतिशत हैं। लेकिन एमएसएमई निर्यात में इनकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
भारत तकनीक अपनाने में जापान से काफी पीछे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट में World Bank’s Ease of Doing Business Report के हवाले से बताया गया है कि जापान में तकनीक अपनाने की दर 80 फीसदी है, जबकि भारत में इसकी आधी के करीब 42 फीसदी ही है। तकनीक अपनाने की सबसे अधिक दर 90 फीसदी दक्षिण कोरिया में है। अमेरिका में यह 88 फीसदी और जर्मनी में 75 फीसदी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश मध्यम उद्योग पुरानी तकनीक का उपयोग करते हैं, जो उन्हें आधुनिक दुनिया के साथ बने रहने से रोकता है।
नीति आयोग के सर्वे में 82 फीसदी उद्यमों ने बताया कि उनके पास अपने व्यावसायिक संचालन में एआई जैसी उन्नत तकनीक नहीं है, जो प्रतिस्पर्धा में बाधा डालती है। इसके अलावा इनमें से 60 फीसदी उद्यम अभी भी पुरानी मशीनरी पर निर्भर हैं, जो उनकी उत्पादकता और उत्पाद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। नई तकनीक को अपनाना और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना मुश्किल और महंगा है, खासकर विनिर्माण में जहां भौतिक उपकरण और सॉफ्टवेयर दोनों शामिल हैं।
कुशल श्रमिक किसी भी उद्यम के लिए आवश्यक है क्योंकि यह उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करता है और परिचालन संबंधी त्रुटियों को कम करता है। भारत के उद्योग कुशल श्रमिकों के मामले में भी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इन उद्यमों में कुशल श्रमिक की उपलब्धता जापान से काफी कम है। जापान में कुशल श्रमिकों की उपलब्धता 81 फीसदी है, जबकि भारत में यह 55 फीसदी की है। दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक 88 फीसदी कुशल श्रमिक उद्योगों में काम कर रहे हैं।
अमेरिका में यह आंकड़ा 85 फीसदी और जर्मनी में 75 फीसदी है। नीति आयोग के सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि 88 फीसदी मध्यम उद्यम किसी भी सरकारी कौशल विकास या प्रशिक्षण योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं। इसकी वजह ये कार्यक्रम उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होना हो सकती है। 31 फीसदी उद्यमों को लगता है कि उपलब्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए अप्रासंगिक लगते हैं, जबकि अन्य 59 फीसदी केवल मामूली रूप से प्रासंगिक मानते हैं।
कई लोगों को लगता है कि ये कार्यक्रम मध्यम उद्यमों के लिए आवश्यक उन्नत कौशल को संबोधित करने के बजाय सूक्ष्म और लघु उद्यमों की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। हितधारकों से परामर्श से पता चला कि 40 फीसदी प्रतिभागी कौशल विकास पर केंद्रित एक भी सरकारी योजना का नाम नहीं बता सके।
भारत के उद्योग अनुसंधान व विकास (R&D) पर जापान की तुलना में कम खर्च करते हैं। नीति आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उद्योग जीडीपी का 0.68 फीसदी R&D पर खर्च करते हैं, जबकि जापान में जीडीपी का 3.30 फीसदी खर्च किया जाता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अनुसंधान एवं विकास से जुड़े वित्तीय जोखिम और सीमित परीक्षण सुविधाएं मध्यम उद्यमों के लिए R&D पर खर्च करने में प्रमुख बाधाएं हैं।
सरकार एक structured mechanism स्थापित करके इन फर्मों के लिए वित्तीय जोखिमों को कम कर सकती है। बैंक भी मध्यम उद्योगों को कर्ज देने में हिचकते हैं। मध्यम उद्योगों के पास कार्यशील पूंजी ऋण की सीमित उपलब्धता है। वित्तीय सहायता की यह कमी उनके परिचालन और विकास क्षमता को सीमित करती है। नीति आयोग के सर्वे में 72 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि मध्यम उद्यमों को कार्यशील पूंजी के मामले में अधिक सहायता की आवश्यकता है।