भारत के शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में जबरदस्त गिरावट आई है। मार्च 2024 की समाप्ति (वित्त वर्ष 24) पर शुद्ध विदेशी निवेश घटकर 10.58 अरब डॉलर हो गया जबकि यह बीते वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 23) में 27.98 अरब डॉलर था। देश में आने वाले धन से बाहर जाने वाले धन को घटाने पर शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त होता है।
शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (foreign direct investment) में गिरावट यह दर्शाता है कि देश से विदेश जाने वाली पूंजी में इजाफा हो गया है। यह वर्ष 2007 के बाद देश में सबसे कम शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक 2023-24 में 71 अरब डॉलर के साथ स्थिर रही जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 71.4 अरब डॉलर थी।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 में भारत में एफडीआई की आवक 26.55 अरब डॉलर और विदेश भेजे जाने वाली राशि 15.96 अरब डॉलर थी। हालांकि वित्त वर्ष 23 में एफडीआई की आवक 42 अरब डॉलर थी और भारत से विदेश भेजे जाने वाली राशि 14.02 अरब डॉलर पर पहुंच गई थी।
वित्त वर्ष 24 में स्वदेश भेजे जाने वाले धन / विनिवेश से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तेजी से बढ़कर 44.40 अरब डॉलर हो गया जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 29.34 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक की मार्च 2024 की ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट के अनुसार 60 फीसदी से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विनिर्माण, बिजली और अन्य ऊर्जा, कंप्यूटर सेवाओं, खुदरा और थोक कारोबार क्षेत्रों में आया।
भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 80 फीसदी से अधिक राशि सिंगापुर, मॉरीशस, यूएस, नीदरलैंड, जापान और यूएई से आई। वर्ष 2023-24 में बीते वर्ष की तुलना में शुद्ध एफडीआई 28 अरब डॉलर से गिरकर 10.6 अरब डॉलर होना मुख्य तौर पर यह दर्शाता है कि विदेश ज्यादा धन भेजा गया।
वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह हाल के वर्षों में उच्च उधारी की लागत, बढ़ते भूराजनीतिक तनाव और बढ़ते संरक्षणवाद के कारण प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ में एफडीआई इंटेलिजेंस के हवाले से अनुमान जताया गया कि वर्ष 2024 में भारत एफडीआई के उच्च प्रवाह वाली शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में रहेगा।
एफडीआई इंटेलिजेंस को एफटी लिमिटेड प्रकाशित करती है। इसमें वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जानकारी होती है और वैश्विक निवेश गतिविधियों का अद्यतन समीक्षा होती है। दरअसल कोविड 19 महामारी के बाद वैश्विक निवेश पैटर्न में ढांचागत बदलाव आया है। इस क्रम में एफडीआई का प्रवाह विकसित अर्थव्यवस्थाओं से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरफ हो गया है।