आयकर विभाग ने देश के प्रमुख शहरों में 10,000 कंपनियों और आम करदाताओं को पुराने कर मामले दोबारा खोलने के नोटिस जारी किए हैं। इसमें विभाग ने करदाताओं से पूछा है कि उनकी बताई गई आय मेल क्यों नहीं खा रही है। ये मामले कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से संबंधित हैं और ऐसे मामलों को 31 अगस्त के बाद दोबारा नहीं खोला जा सकता है।
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार विभाग को इन मामलों में 15,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय होने का संदेह है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु, पुणे, चेन्नई और हैदराबाद सहित कई प्रमुख शहरों में इस तरह के नोटिस भेजे गए हैं। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकतर मामले आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत परोपकारी संस्थाओं को दिए गए फर्जी दान या विदेश में संपत्ति खरीद जैसे कीमती सौदों से जुड़े हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘अभी नोटिस भेजने की प्रक्रिया चल रही है, इसलिए रकम का सटीक आंकड़ा बताना कठिन है। कई मामले अलग-अलग चरण में हैं और नोटिस का जवाब मिलने के बाद उनमें बदलाव किया जाता है।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने फर्जी दान के मामले में जारी किए गए कुछ नोटिस देखे हैं। एक नोटिस में कहा गया है, ‘गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कमीशन कमाने और अपना कारोबार बढ़ाने के लिए फर्जी दान स्वीकार कर रहे थे। ऐसे दान के लिए बिचौलियों की सेवाएं ली गईं और बिचौलिए दस्तखत किए गए खाली लेटर पैड अपने पास रखते थे ताकि प्रमाण पत्र जारी किए जा सकें।’
अधिकारी ने आगे बताया कि ज्यादातर मामले में संस्थाओं या व्यक्तियों की तलाशी या सर्वे के बाद मामले दोबारा खोले जाने के नोटिस भेजे गए हैं। कुछ मामलों में बैंक, वित्तीय संस्थानों, आभूषण विक्रेताओं, रियल एस्टेट कंपनियों आदि से मिली जानकारी के आधार पर नोटिस जारी किए गए हैं। यदि सौदे या लेनदेन का मूल्य तय सीमा से अधिक होता है तो इन इकाइयों को इसके बारे में कर विभाग को जानकारी देनी होती है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले कर निर्धारण वर्षों के अघोषित लेनदेन की पहचान करने में विभाग के डेटा विश्लेषण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।’ दोबारा आकलन कानून (धारा 148 और 148ए) इस मामले में आदेश को अंतिम रूप दिए जाने से पहले करदाताओं को अपना पक्ष रखने की अनुमति देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया 31 अगस्त से आगे भी जारी रहेगी।
अकाउंटेंसी फर्म चोकसी ऐंड चोकसी में पार्टनर मितिल चोकसी ने कहा, ‘आयकर विभाग का यह कदम पिछले वर्षों के मामलों पर पकड़ बनाने की कोशिश है। इससे कर पिछले कर निर्धारण वर्षों तक पहुंच सकेगा वरना भविष्य में वह ऐसे मामले दोबारा नहीं जांच पाता।’ मामला दोबारा खोलने के लिए नोटिस जारी करने से पहले अधिकारी आम तौर पर मामले की जांच-परख करते हैं।