केंद्र सरकार ने आज चीनी मिलों के लिए अतिरिक्त घरेलू बिक्री कोटा के रूप में प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। अक्टूबर से शुरू हो रहे 2021-22 चीनी सत्र में यह लाभ उन मिलों को मिलेगा, जो चीनी का निर्यात करती हैं और इस जिंस को एथेनॉल बनाने के लिए भेजती हैं।
सरकार ने चीनी मिलों से यह भी कहा है कि वे चीनी के वैश्विक दाम का लाभ उठाएं और नए सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में कच्ची चीनी के अग्रिम निर्यात की योजना बनाएं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार की ओर से नए सत्र के लिए चीनी पर निर्यात सब्सिडी दिए जाने की संभावना कम है क्योंकि वैश्विक कीमतें ज्यादा होने की वजह से घरेलू मिलों को विदेश में चीनी बेचना आसान होगा।
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है, जो पिछले 2 साल से निर्यात सब्सिडी दे रहा है, जिससे अतिरिक्त स्टॉक घटाया जा सके और नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों को गन्ना उत्पादकों का बकाया भुगतान करने में मदद मिल सके।
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘चीनी का निर्यात करने वाली और एथेनॉल के लिए चीनी देने वाली मिलों को घरेलू बाजार में बिक्री के लिए अतिरिक्त मासिक घरेलू कोटे के रूप में प्रोत्साहन दिया जाएगा।’ इस समस सरकार घरेलू बाजार में चीनी की बिक्री के लिए मासिक कोटा तय करती है। चीनी मिलों की मासिक बिक्री के लिए औसतन करीब 21 लाख टन का कोटा तय किया गया है। मंत्रालय के मुताबिक कुछ चीनी मिलों ने नए सत्र में निर्यात के लिए अग्रिम सौदे भी किए हैं। पिछले एक महीने में चीनी के वैश्विक दाम में उल्लेखनीय तेजी आई है और भारत की कच्ची चीनी की भारी मांग है। इसी के मुताबिक मंत्रालय ने कहा है कि घरेलू चीनी मिलों को नए चीनी सत्र में निर्यात के लिए कच्ची चीनी का उत्पादन करने की योजना बनानी चाहिए।
मंत्रालय ने मिलों से कहा है कि वे ‘आयातकों के साथ अग्रिम सौदे करें, जिससे उन्हें चीनी के उच्च अंतरराष्ट्रीय दाम और वैश्विक कमी का लाभ मिल सके।’ चीनी के निर्यात और एथेनॉल बनाने में इसके ज्यादा इस्तेमाल से मिलों को नकदी की स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी और वे किसानों को गन्ने के दाम का बकाया समय से देने में सफल हो सकेंगी। इससे घरेलू बाजार में चीनी के एक्स-मिल दाम भी स्थिर होंगे। मंत्रालय ने कहा है कि इससे अतिरिक्त चीनी के भंडार की समस्या भी हल होगी।
मंत्रालय ने कहा है कि मिश्रण का स्तर बढ़ाने से पेट्रोल-डीजल के आयात पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण कम होने के साथ कृषि अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
भारतीय चीनी निर्यात की संभावना बढ़ी
मजबूत वैश्विक कीमतों ने अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2021-22 के लिए सरकारी सब्सिडी के बिना भी भारत से चीनी निर्यात की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। साख निर्धारक एजेंसी इक्रा ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पिछले दो वर्षों से सरकारी सब्सिडी के साथ केवल तयशुदा मात्रा में चीनी का अनिवार्य रूप से निर्यात किया गया है। विपणन वर्ष 2020-21 (सितंबर-अक्टूबर) के लिए लगभग 60 लाख टन निर्यात का कोटा तय किया गया और चीनी मिलों ने अब तक इसके 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से का निर्यात कर दिया है। बढ़ती वैश्विक दरों को देखते हुए चीनी मिलों ने भी इस साल खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) श्रेणी के तहत सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाए बिना कुछ मात्रा में चीनी का निर्यात किया है।
इक्रा ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कच्चे चीनी की कीमतों में हालिया वृद्धि होने से अगस्त में यह कीमत 430 डॉलर प्रति टन हो गयी है जिसे देखते हुए अगले चीनी सत्र के लिए चीनी निर्यात की संभावनाएं उत्साहजनक प्रतीत होती हैं।’