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औद्योगिक उत्पादन में सुधार

वित्त वर्ष 2024 में आईआईपी वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत थी। इसके पहले वित्त वर्ष 2021 में कोविड महामारी के दौरान आईआईपी 8.4 प्रतिशत संकुचित हुई थी।

Last Updated- April 28, 2025 | 10:59 PM IST
IIP Data: Industrial production at 6-month high in November, strong performance of manufacturing sector नवंबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 6 महीने के हाई पर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का दमदार प्रदर्शन
प्रतीकात्मक तस्वीर

औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मार्च में मामूली सुधार के साथ 3 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि फरवरी में यह 6 महीने के निचले स्तर 2.72 प्रतिशत पर थी। उच्च आधार और कमजोर मांग के कारण उत्पादन में विस्तार पर अंकुश लगा रहा। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों से यह सामने आया है।

मार्च 2024 में आईआईपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों में मार्च में मामूली सुधार बिजली क्षेत्र (6.3 प्रतिशत) में तेजी और विनिर्माण क्षेत्र (3 प्रतिशत) में थोड़े विस्तार के कारण हुआ है। बहरहाल खनन क्षेत्र में गिरावट (0.4 प्रतिशत) की वजह से यह वृद्धि कुल मिलाकर ढक गई।

अगर उपयोग पर आधारित वर्गीकरण के हिसाब से देखें तो बुनियादी ढांचा वस्तुओं (8.8 प्रतिशत), टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं (6.6 प्रतिशत) की वृद्धि दर तेज रही है। उधर पूंजीगत वस्तु (2.4 प्रतिशत) के उत्पादन की रफ्तार घटी है। प्राथमिक वस्तुओं (3.1 प्रतिशत) और मध्यवर्ती वस्तुओं (2.3 प्रतिशत) के उत्पादन में थोड़ी तेजी आई है। वहीं उपभोक्ता गैर टिकाऊ (-4.7 प्रतिशत) में गिरावट आई और यह लगातार चौथे महीने गिरावट के क्षेत्र में बना रहा।

केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि मार्च में विनिर्माण क्षेत्र को जवाबी शुल्क की प्रत्याशित घोषणा से पहले कंपनियों द्वारा भंडार जुटाने की वजह से लाभ हुआ होगा। बहरहाल घरेलू मांग के परिदृश्य में असमानता को देखते हुए उपभोग पर नजर रखना महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण मांग से रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। वहीं शहरी मांग में सुस्ती से चिंता बनी हुई है। महंगाई दर में कमी, कृषि गतिविधियां बेहतर रहने, कर्ज की लागत कम होने और आयकर का बोझ घटने से आगे चलकर खपत की मांग को समर्थन मिलने की संभावना है।’
कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2025 में आईआईपी वृद्धि 4 साल के निचले स्तर 4 प्रतिशत पर आ गई है। इससे साल के दौरान सुस्त औद्योगिक मांग का पता चलता है। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2024 में आईआईपी वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत थी। इसके पहले वित्त वर्ष 2021 में कोविड महामारी के दौरान आईआईपी 8.4 प्रतिशत संकुचित हुई थी।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस साल औद्योगिक वृद्धि ज्यादा सुस्त रही है और इसमें उपभोग का बड़ा योगदान रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता गैर-टिकाऊ क्षेत्र वित्त वर्ष 2025 में 1.6 प्रतिशत संकुचित हुआ है। वहीं बुनियादी उद्योगों (6.6 प्रतिशत), मध्यस्थ वस्तुओं (4.1 प्रतिशत), पूंजीगत वस्तुओं (5.5 प्रतिशत) और प्राथमिक वस्तुओं (3.9 प्रतिशत) की वृद्धि दर माह के दौरान सुस्त हुई है।

बहरहाल उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है और साल के दौरान इसकी वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही है। यह वृद्धि मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर आदि से संचालित रही है। अप्रैल 2025 से आईआईपी के आंकड़े अब हर महीने 28 तारीख को जारी किए जाएंगे। इस तरह से आंकड़े के संदर्भ माह से अंतराल 42 दिन से घटकर 28 दिन रह जाएगा और इसमें आईआईपी के दूसरे संशोधन की जरूरत भी खत्म हो जाएगी।

इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आंकड़े जारी करने में देरी के कारण प्रतिक्रिया दर कम रही। इससे मार्च का अनुमानित विकास दर कमजोर हुआ है। इसकी वजह से पहले की तुलना में आंकड़ों में बड़ा संशोधन सामने आ सकता है।

First Published - April 28, 2025 | 10:36 PM IST

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