भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ‘राज्यों का वित्त : 2024-25 के बजट का अध्ययन’ में कहा गया है कि राज्य सरकारों ने लगातार 3 वर्षों (2021-22 से 2023-24) के दौरान अपने सकल राजकोषीय घाटे (जीएफडी) को सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के भीतर रखकर राजकोषीय समेकन में उल्लेखनीय सुधार किया है। राज्यों ने अपना राजस्व घाटा भी 2022-23 और 2023-24 में जीडीपी के 0.2 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है।
2023-24 में राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.9 प्रतिशत रहा है, जो राजकोषीय दायित्व कानून (एफआरएल) द्वारा तय 3 प्रतिशत सीमा के भीतर है। राज्यों ने वित्त वर्ष 2024 में जीएफडी 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो एक साल पहले के स्तर से थोड़ा ज्यादा है।
इसमें भी एक राज्य की तुलना में दूसरे राज्य के आंकड़ों में उल्लेखनीय अंतर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुफ्त बिजली, कृषि ऋण माफी जैसी रियायतें उनके पास उपलब्ध संसाधनों को खत्म कर सकती हैं।