भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर वाई वी रेड्डी ने सोमवार को कहा कि देश की राजकोषीय स्थिति में सुधार आया है।
रेड्डी ने नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि फिलहाल केन्द्रीय राजकोषीय स्थिति सुधरी है लेकिन मेरा मानना है कि कई तरह के राजकोषीय दबाव आंकड़ों में पूरी तरह परिलक्षित नहीं होते।
उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि अर्थव्यवस्था के दबाव में कच्चे तेल के बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय दामों का असर पड़ा है या नहीं। इस समय कच्चे तेल की कीमत 135 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। भारत का राजकोषीय घाटा 2008-09 में घटकर जीडीपी का ढाई प्रतिशत हो गया। पूर्व वित्त वर्ष में यह 3.1 प्रतिशत था।
राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून में प्रावधान किया गया है कि सरकार को राजकोषीय घाटा कम कर तीन प्रतिशत तक लाना चाहिए और 2008-09 के दौरान राजस्व घाटा समाप्त हो।
रेड्डी ने संकेत किया कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में भारत का राजकोषीय घाटा दुनिया में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे में गिरावट हालांकि सार्वजनिक व्यय में कमी के कारण हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक निवेश में कमी आई है। आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि राज्यों का राजकोषीय घाटा भी काफी कम हुआ है।