मंदी से हिचकोले खा रही अर्थव्यवस्था को मिली जुली खबरें मिल रही हैं। आयात और निर्यात के मोर्चे से आई खबरों ने अर्थव्यवस्था को कुछ खुश किया, तो कहीं मायूस भी किया।
पिछले कुछ महीनों के दौरान देश में संवेदनशील उत्पादों के आयात में 30.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। सबसे अधिक तेजी ऑटो कलपुर्जों और खाद्य तेल के आयात में दर्ज किया गया है। लेकिन निर्यात में कमी दर्ज की गई है।
आयात की बात करें, तो वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 43,000 करोड़ रुपये के संवेदनशील उत्पादों का आयात किया गया था, जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में 32,954 करोड़ रुपये कीमत के संवेदनशील उत्पादों का आयात किया गया था। हालांकि तकनीकी बात करें, तो संवेदनशील उत्पादों के आयात में तेजी की वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 30 फीसदी की कमी आना भी है।
सरकार लगभग 300 संवेदनशील उत्पादों के आयात पर नजर रखती है। दरअसल इन उत्पादों के आयात में तेजी आने से देश के घरेलू बाजार में काम कर रहे काफी लोगों पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका रहती है, लेकिन देश में मांग बढ़ने का इशारा मिलता है।
वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान ऑटोमोबाइल कलपुर्जों का आयात 62.2 फीसदी बढ़कर 10,214 करोड़ रुपये हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान लगभग 6,298 करोड़ रुपये कीमत के ऑटो कलपुर्जों का आयात किया गया था। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक आयातित संवेदनशील उत्पादों में ऑटो कलपुर्जों की हिस्सेदारी लगभग 24 फीसदी रही।
खाद्य तेल का आयात 42.3 फीसदी बढ़कर 14,542 करोड़ रुपये हो गया है। जबकि पिछले साल इसी समयावधि के दौरान यह आंकड़ा 10,217 करोड़ रुपये ही था। रिफाइंड तेल के आयात में 126.5 फीसदी की तेजी आई है।
अमेरिका को भारत के निर्यात में अक्टूबर 2008 से फरवरी 2009 के दौरान तकरीबन 11.5 फीसदी की कमी आई। इस दौरान महज 960 करोड़ डॉलर का सामान अमेरिका को निर्यात किया गया, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में यह आंकड़ा 1,100 करोड़ डॉलर था।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय सामान के सबसे बड़े खरीदार अमेरिका को निर्यात में सबसे ज्यादा गिरावट आई। इसके अलावा यूरोपीय संघ से भी अच्छी मांग नहीं रही।
फिक्की अध्यक्ष हर्षपति सिंघानिया ने कहा, ‘दुनिया भर को हम जितना भी निर्यात करते हैं, उसका 13 फीसदी हिस्सा अमेरिका को ही जाता है। इसलिए यह गिरावट हमारे लिए चिंता का सबब है।’ निर्यात में कमी रत्न एवं आभूषण, वस्त्र एवं परिधान, औषधि, वाहन और वाहन पुर्जे, समुद्री उत्पाद और अलौह धातुओं में खास तौर पर देखने को मिली है।
संवेदनशील उत्पादों के आयात में 30.5 फीसदी का हो गया इजाफा
पिछले वित्त वर्ष में 43,000 करोड़ रुपये के संवेदनशील उत्पादों का आयात
ऑटोमोबाइल कलपुर्जों का आयात 62.2 फीसदी बढ़कर 10,214 करोड़ रुपये
खाद्य तेल का आयात 42.3 फीसदी बढ़कर 14,542 करोड़ रुपये हो गया
अक्टूबर 2008 से फरवरी 2009 के दौरान तकरीबन 11.5 फीसदी घटा निर्यात
रत्न एवं आभूषण, वस्त्र एवं परिधान, औषधि, वाहन निर्यात में आई कमी
मुद्रास्फीति में हुआ इजाफा
मुद्रास्फीति के शून्य से नीचे जाने की आशंका के उलट यह लगातार दूसरे सप्ताह बढ़कर 0.57 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई।
खाद्य और अन्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर मंहगाई दर में बढ़ोतरी होने के बाद भी यह तीन दशक के निम्नतम स्तर पर बनी रही। 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति में 0.31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में 8.23 फीसदी के बेस इफेक्ट के बावजूद मंहगाई दर बढ़ी थी। थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान 0.26 फीसदी थी।
