अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपनी अगली विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का वृद्घि दर अनुमान घटाकर 8 से 8.3 फीसदी के बीच कर सकता है। फिलहाल उसने 9 फीसदी वृद्घि का अनुमान लगाया है। आईएमएफ की अगली विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) रिपोर्ट 19 अप्रैल को जारी की जाएगी। आईएमएफ ने जनवरी की अपनी डब्ल्यूईओ रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर का अनुमान 8.5 फीसदी से बढ़ाकर 9 फीसदी कर दिया था। लेकिन उसने वित्त वर्ष 2022 के लिए जीडीपी वृद्घि अनुमान 9.5 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर दिया था। इसके पीछे कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर का हवाला दिया था। आईएमएफ के हिसाब से वित्त वर्ष 2023 का मतलब 2022 से और वित्त वर्ष 2022 का मतलब 2021 से है।
जनवरी की रिपोर्ट उस समय जारी की गई थी, जब भारत कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का सामना कर रहा था मगर उस वक्त रूस ने यूक्रेन पर हमला नहीं किया था। युद्घ और उसके कारण लगाए गए प्रतिबंधों से दुनिया भर में आपूर्ति शृंखला में बाधा आई है, जिस कारण जिंसों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं।
घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने बताया, ‘आईएमएफ भारत के जीडीपी वृद्घि अनुमान में कटौती कर सकता है। इसके बावजूद वह अन्य एजेंसियों की तुलना में थोड़ा सकारात्मक रहेगा।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में जानकारी के लिए आईएमएफ के भारत, नेपाल और भूटान में रेजिडेंट प्रतिनिधि लुई ब्रेउर से संपर्क साधा। लेकिन उन्होंने कुछ कहने से इनकार कर दिया।
वित्त वर्ष 2023 के लिए आईएमएफ अगर जीडीपी वृद्घि अनुमान को 8 फीसदी या इससे ऊपर रखता है तब भी यह आरबीआई सहित कई एजेंसियों से बेहतर होगा। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्घि अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। विश्व बैंक ने बीते बुधवार को ही भारत का वृद्घि दर अनुमान 8.7 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया है। इसके पीछे उसने खपत मांग में सुस्ती भरे सुधार और रूस-यूक्रेन युद्घ के कारण पैदा हुई अनिश्चितता को कारण बताया है।
विश्व बैंक ने अपनी द्विवार्षिक ‘साउथ एशिया इकनॉमिक फोकस’ रिपोर्ट में कहा है, ‘श्रम बाजार में पूर्ण सुधार नहीं होने से निजी उपभोग पर असर होगा और महंगाई की मार से लोगों की क्रय शक्ति कम हो जाएगी। यूक्रेन संकट की वजह से वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ सकती है और 2022 की दूसरी छमाही में यह कमजोर पड़ सकती है।’अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ सकती है। मार्च में भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो पिछले 17 महीनों का उच्चतम स्तर था। मार्च लगातार तीसरा ऐसा महीना रहा, जब खुदरा महंगाई मौद्रिक नीति समिति के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक रही थी। यूरोप में युद्ध शुरू होने के बाद आईएमएफ की यह पहली डब्ल्यूईओ रिपोर्ट होगी और माना जा रहा है कि रिपोर्ट रूस-यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित रहेगी। वैश्विक आर्थिक वृद्घि दर एवं दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान कम किए जा सकते हैं। चीन के मामले में खास तौर पर ऐसा होगा। चीन में एक बार फिर कोविड-19 महामारी फैल रही है और शांघाई सहित बड़े शहरी क्षेत्रों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है।