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डिस्कॉम ने पैसा नहीं दिया तो खुले बाजार में बिजली बेचेंगी उत्पादन कंपनियां!

Last Updated- December 12, 2022 | 1:47 AM IST

ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत उत्पादन कंपनियों (जेनको) को यह विकल्प देने का प्रस्ताव दिया है कि यदि उन्हें विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से आपूर्ति की गई बिजली की मात्रा का भुगतान नहीं मिलता है तो वे इसे किसी तीसरे पक्ष को बेच सकती हैं। विद्युत (देरी से भुगतान उपकर) नियम, 2021 के मसौदा संशोधनों में मंत्रालय ने उपभोक्ताओं के लिए खुदरा टैरिफ कम करने के साथ साथ डिस्कॉम पर नियमित भुगतान का बोझ कम करने के लिए प्रस्ताव दिए हैं।
इसमें कहा गया है, ‘उत्पादन कंपनियों को तीसरे पक्ष को बिजली की बिक्री करने और अपनी लागत निकालने का एक विकल्प दिया जा रहा है। इस हद तक वितरण लाइसेंसधारी के नियत लागत बोझ को घटा दिया जाएगा।’ यह संशोधन लंबित भुगतान के संबंध में है जिसमें बकाया देरी से भुगतान सरचार्ज भी शामिल है।

मसौदा संशोधन में कहा गया है, ‘विद्युत खरीद समझौता या विद्युत आपूर्ति समझौता में दिए गए भुगतान की तिथि से सात महीने बीत जाने के बाद उत्पादन कंपनी किसी भी उपभोक्ता या किसी अन्य लाइसेंसधारी या विद्युत एक्सचेंजों को बिजली बेच सकती है। इसकी अवधि चूक की अवधि तक के लिए होगी। इस बीच उत्पादन कंपनी का वितरण लाइसेंसधारी से नियत शुल्कों या क्षमता शुल्कों की वसूली का दाबा बना रहेगा। तीसरे पक्ष को बिजली बेचने से कम से कम 15 दिन पहले उत्पादन कंपनी को वितरण लाइसेंसधारी को नोटिस देना होगा।’
डिस्कॉम के भुगतान पर जेनको के दावे पर सालाना आधार पर विचार किया जाएगा और यह केवल नियत शुल्कों या क्षमता शुल्कों की वसूली तक ही सीमित रहेगा।ताप विद्युत संयंत्रों के शुल्कों के दो घटक होते हैं। पहला है नियत लागत जो कि पूंजी लागत है और दूसरा है परिवर्तनीय लागत जो कि ईंधन लागत है। उत्पादन कंपनियों के साथ दीर्घावधि विद्युत खरीद समझौते में डिस्कॉम यदि एक निश्चित अवधि के दौरान बिजली खरीद नहीं करती है तब भी उस पर नियत लागत की देनदारी होती है।

मंत्रालय ने इसके अलावा प्रस्ताव दिया है कि उत्पादन कंपनियों को डिस्कॉम की तरफ से बिलों के भुगतान के लिए पहले आने वाले को पहले निपटाने के सिद्घांत का अनुसरण करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि इससे विद्युत उत्पादन में निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और साथ ही डिस्कॉम पर भुगतान का बोझ कम होगा।
मसौदा संशोधन में कहा गया है, ‘वितरण कंपनी द्वारा उत्पादन कंपनी को किए जाने वाले सभी बिल भुगतान विद्युत खरीद समझौता में निर्धारित भुगतान की तिथि के संदर्भ में समयबद्घ होंगे और डिस्कॉम बिजली की सबसे पुरानी खरीद के लिए सबसे पहले भुगतान करेगी और फिर भुगतान का सिलसिला इसी क्रम में आगे बढ़ेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नई खरीद का भुगतान तब तक नहीं हो जब तक कि सभी पुरानी खरीदों का भुगतान नहीं हो जाए।’

ऊर्जा मंत्रालय ने मसौदा संशोधनों को साझेदारों के बीच वितरित कर दिया है और उनकी टिप्पणी मिलने के बाद अंतिम नोटिस जारी करेगा।

First Published - August 19, 2021 | 11:50 PM IST

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