भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों उठा पटक जारी है। एक समय 20,000 अंक से ऊपर के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के बाद शेयर बाजार 15,000 अंक तक लुढ़क चुका है और इससे निवेशकों में हड़कंप मचा हुआ है।
हम अक्सर शेयर बाजार में अंकों के चढ़ने और उतरने की चर्चा करते हैं, जैसे शेयर बाजार 200 या फिर 300 अंक ऊपर या नीचे गिर गया। पर क्या हम यह जानते हैं कि शेयर बाजार के ऊपर उठने या फिर नीचे गिरने की गणना कैसे की जाती है।
इस अंक में हम यही बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर शेयर बाजारों में उतार चढ़ाव का आकलन कैसे किया जाता है। देश में मुख्य रूप से दो शेयर बाजार हैं: मुंबई स्थित बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के प्रदर्शन को सेंसेक्स से बताया जाता है जबकि एनएसई में इसे निफ्टी के नाम से जाना जाता है।
अगर हम कहते हैं कि सेंसेक्स ऊपर गया तो इसका मतलब होता है कि बीएसई में शामिल अधिकांश कंपनियों के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। वहीं ठीक इसी तरह सेंसेक्स के नीचे लुढ़कने का मतलब होता है, इसमें शामिल कंपनियों के शेयरों के भाव नीचे गिरना।
सेंसेक्स का आकलन
बीएसई में सचीबद्ध 30 कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन के आधार पर सेंसेक्स का निर्धारण किया जाता है। इसके आकलन के लिए मुक्त बाजार पूंजीकरण विधि का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यहां ध्यान रखना चाहिए कि सेंसेक्स के आकलन को सटीक बनाने के लिए समय समय पर इन 30 कंपनियों में बदलाव किया जाता है। अब इस तकनीक को जानने के पहले यह समझते हैं कि बाजार पूंजीकरण क्या है?
बाजार पूंजीकरण
शेयर के आधार पर किसी कंपनी का कुल मूल्य ही उस कंपनी का बाजार पूंजीकरण कहलाता है। किसी कंपनी का बाजार पूंजीकरण पता करने के लिए उस कंपनी के जारी किए गए कुल शेयरों की संख्या को कंपनी के एक शेयर के भाव से गुना कर दिया जाता है। कंपनी के बाजार पूंजीकरण के आधार पर ही यह तय किया जाता है कि कंपनी मिड-कैप, स्मॉल-कैप या फिर लार्ज-कैप है। बाजार पूंजीकरण को समझने के बाद हम मुक्त बाजार पूंजीकरण को समझने की कोशिश करेंगे।
मुक्त बाजार पूंजीकरण
किसी कंपनी के शेयर विभिन्न किस्म के निवेशकों के पास होते हैं। इनमें से कुछ शेयरों पर सरकार का कब्जा हो सकता है तो कुछ पर कंपनी के संस्थापक या फिर निदेशकों का। अब मुक्त या फ्री फ्लोट शेयर उन्हें कहते हैं जिनका कारोबार खुले बाजार में किया जाता है। यानी जिन्हें कोई भी निवेशक खरीद सकता है।
जब हम सेंसेक्स का आकलन करते हैं तो हम दरअसल इन्हीं शेयरों की चर्चा कर रहे होते हैं। मुक्त शेयर ऐसे शेयर होते हैं जिन पर कंपनी के संस्थापक, निदेशक या मालिक का कोई हक नहीं होता, जिनपर किसी व्यक्ति या इकाई की होल्डिंग्स का हक नहीं होता। जिनपर सरकार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), निजी कारोबारी इकाइयों, एसोशिएट या समूह कंपनियों कर्मचारी वेलफेयर ट्रस्ट का हिस्सा न हो।
साथ ही ऐसे शेयर जो लॉक्ड इन की श्रेणी में आते हैं और जिन्हें आम निवेशकों के लिए जारी नहीं किया जाता है, वे भी मुक्त शेयर नहीं कहलाते। हर कंपनी को बीएसई को संपूर्ण रिपोर्ट सौंपनी होती है कि उसके कितने शेयर किन किन लोगों के पास हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर बीएसई तय करती है कि कंपनी के मुक्त शेयर कितने हैं और कंपनी का मुक्त बाजार पूंजीकरण कितना है। जारी…