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टॉप Rating Agency का खुलासा, कैसे है देश के इन 15 States के वित्तीय हालात

राज्यों द्वारा चुनाव से पहले घोषित की गई लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बढ़ने से FY26 (अनुमानित) में घाटा 0.63% तक पहुंच सकता है।

Last Updated- March 26, 2025 | 7:33 PM IST
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रेटिंग एजेंसी CareEdge Ratings का अनुमान है कि कुल ₹86 लाख करोड़ के कर्ज (31 मार्च 2024 की स्थिति) में से 63% हिस्सा बेहतर प्रदर्शन करने वाले और उच्च प्रदर्शन वाले राज्यों का है, जबकि मध्यम प्रदर्शन करने वाले राज्यों का हिस्सा 37% है।

रेटिंग एजेंसी ने 15 प्रमुख राज्यों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण किया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 (31 मार्च 2024 तक) में देश के कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 87% हिस्सा रखते हैं। इन राज्यों में शामिल हैं—आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।

वित्त वर्ष 2024-25 (अनुमानित) में केंद्र से मिलने वाले टैक्स डिवोल्यूशन और राज्यों के स्वयं के टैक्स राजस्व (SOTR) में 11-12% की स्वस्थ वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे कुल राजस्व प्राप्तियों (Revenue Receipts) में लगभग 9% की बढ़ोतरी संभव है। हालांकि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान (BE) में तय किए गए 19% के लक्ष्य से काफी कम है।

CareEdge Ratings का अनुमान है कि FY26 (अनुमानित) में राजस्व प्राप्तियों में सालाना आधार पर 10-11% की वृद्धि होगी, जो स्वयं के टैक्स संग्रह और केंद्र से टैक्स डिवोल्यूशन के मजबूत बने रहने से संभव होगा।

FY25 (अनुमानित) में 15 राज्यों का सम्मिलित राजस्व घाटा GSDP का 0.6% रहने का अनुमान है, जो कि FY25 के बजट अनुमान (0.5%) से थोड़ा अधिक है। इसका कारण राजस्व प्राप्तियों में अपेक्षित से कम बढ़ोतरी है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों द्वारा चुनाव से पहले घोषित की गई लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बढ़ने से FY26 (अनुमानित) में यह घाटा 0.63% तक पहुंच सकता है।

FY25 में पूंजीगत व्यय (Capital Outlay) बजटीय अनुमान से लगभग 20% कम रह सकता है। CareEdge Ratings का मानना है कि इसके पीछे मुख्य कारण हैं—
टेंडर मिलने में देरी,
ज़मीन से जुड़ी अड़चनें जिससे निर्माण कार्य की शुरुआत टलती है,
और चुनावों के कारण प्रक्रियागत देरी।

हालांकि, FY26 में पूंजीगत व्यय में 18% सालाना बढ़ोतरी होकर यह ₹7.2 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। इसकी वजह होगी—चुनाव के बाद खर्च में बढ़ोतरी, अधोसंरचना परियोजनाओं का निष्पादन और केंद्रीय बजट 2025-26 में राज्यों को ₹1.50 लाख करोड़ के ब्याज-मुक्त पूंजीगत ऋण की निरंतर उपलब्धता।

बजटीय पूंजीगत व्यय में कमी से FY25 (अनुमानित) में 15 राज्यों का सम्मिलित राजकोषीय घाटा घटकर 2.7% रह सकता है और FY26 (अनुमानित) में भी यह 3% से नीचे बने रहने की संभावना है।

इस अध्ययन में शामिल राज्यों का कुल बकाया कर्ज (गारंटी समेत) मार्च 2025 तक बढ़कर ₹94.4 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है, जो उनके सम्मिलित GSDP का 32.7% होगा, और FY26 (अनुमानित) में भी यही अनुपात बने रहने की उम्मीद है। हालांकि, अलग-अलग राज्यों की कर्ज स्थिति में अंतर बना रहेगा।

First Published - March 26, 2025 | 7:33 PM IST

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