तमिलनाडु सरकार द्वारा ईंधन पर 3 रुपये प्रति लीटर कर घटाए जाने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम इसलिए नहीं घटा पाई है क्योंकि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार द्वारा जारी तेल बॉन्डों का भारी भरकम ब्याज उसे चुकाना पड़ रहा है।
सीतारमण ने आज चुनिंदा संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘हम संप्रग सरकार की तरह से तमाम तिकड़मों का इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने तेल बॉन्ड जारी किए थे, जिसका मूलधन एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है और पिछले 7 वित्त वर्षों से सरकार सालाना 9,000 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान कर रही है।’ सीतारमण ने कहा, ‘हमारी सरकार 2012-13 में तेल की कीमतों में कमी का भुगतान कर रही है। अगर यह बोझ नहीं होता तो मैं भी तेल की कीमतें कम करने में सक्षम होती।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वित्त वर्ष 15 और 21 के बीच करीब 70,196 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान किया है। सीतारमण ने कहा कि संप्रग के समय के तेल बॉन्ड का मौजूदा मूलधन राशि का बकाया 1.3 लाख करोड़ रुपये है।
सरकार को चालू वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान करना है और 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये बकाया देना है और उसके बाद के साल में 52,860.17 करोड़ रुपये और 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये चुकाने हैं।
सीतारमण ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान उन्हें मुद्रास्फीति 2 से 6 प्रतिशत के निर्धारित दायरे में रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बनाये रखने को कहा गया है। इसके साथ ही इसमें ऊपर- नीचे 2 प्रतिशत तक घटबढ़ की गुंजाइश भी रखी गई है। सीतारमण ने आने वाले महीनों के दौरान राजस्व प्राप्ति भी बेहतर रहने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ माह के दौरान वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और प्रत्यक्ष कर दोनों ही में सुधार आया है। अर्थव्यवस्था में मांग बढऩे के बारे में उन्होंने कहा कि बाजार में तरलता अच्छी बनी हुई है और आगामी त्योहारी मौसम में ऋण वृद्धि बढऩे की उम्मीद है।
वित्त मंत्री ने कहा कि नए आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल में तकनीकी खामियां अगले कुछ सप्ताह में काफी हद तक ठीक कर ली जाएंगी और वह इस विषय पर इन्फोसिस का लगातार ध्यान दिला रही हैं। सीतारमण ने कहा कि पूर्व तिथि से कर की मांग करने वाले प्रावधानों को समाप्त करने संबंधी नियम जल्द ही तैयार कर लिए जाएंगे। पूर्व तिथि से कर कानून के चलते केयर्न एनर्जी और वोडाफोन पीएलसी से करोड़ों रुपये की कर मांग की गई थी। संसद ने इस महीने की शुरुआत में एक संशोधन कानून पारित कर 2012 के पूर्व तिथि से कर लगाने संबंधी कानून के प्रावधान को निरस्त कर दिया।