इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इसलिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में बदलाव टाला जा सकता है। जानकारों का कहना है कि केंद्र और राज्य चुनावों को देखते हुए कर दरों में बदलाव समेत तमाम सुधारों के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 तक GST कर ढांचे में में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। इसका एक कारण यह है कि दरों पर विचार करने वाले मंत्रिसमूह के सदस्य फिलहाल राज्यों में होने वाले चुनावों में व्यस्त हो जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि मंत्रिसमूह नए सिरे से भी गठित किया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों महंगाई की अनिश्चितताओं के बीच कर दरों में लगातार बदलाव करने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में मंत्रिसमूह को फिलहाल कर दरें दुरुस्त करने, स्लैब को सरल बनाने और छूट की सूची पर पुनर्विचार करने के बाद सुझाव देने का काम सौंपा गया है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव मई में होने हैं।
समूह के एक सदस्य ने कहा, ‘कर ढांचा तार्किक बनाने पर आम सहमति नहीं बन पा रही थी, खासकर मौजूदा 5 फीसदी की निचली सीमा को बढ़ाकर 7 फीसदी करने और 12 फीसदी की सीमा खत्म करने के मुद्दे पर। कुछ सदस्यों का कहना था कि 12 फीसदी सीमा का राजस्व में योगदान सबसे कम है।’
उन्होंने कहा कि 18 फीसदी के स्लैब में कम वस्तुएं आती हैं, लेकिन राजस्व संग्रह में उसका 65 फीसदी योगदान है, जिसे बरकरार रखना चाहिए। फिलहाल GST कर ढांचे के तहत चार- 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी- स्लैब हैं।
अधिकारी ने कहा कि पिछले साल जून में परिषद ने कई वस्तुओं को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी के दायरे में कर दिया था। उसने पनीर, लस्सी आदि आम उपभोग की कई वस्तुओं पर छूट को भी खत्म कर दिया था। अब थोड़े अंतराल के बजाय एक बार में ही बड़ा बदलाव किया जाएगा।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘जुलाई 2023 में GST के छह साल पूरे होने को हैं। ऐसे में GST दरों पर जरूरत के लिहाज से गौर किया जाना आवश्यक है। GST में केवल तीन दरें होनी चाहे।’