सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहले अग्रिम अनुमान 7 जनवरी को आएंगे। आम बजट से करीब 3 हफ्ते पहले कमजोर वृद्धि की आशंकाओं के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ये अनुमान जारी करेगा। विशेषज्ञों को भरोसा है कि ग्रामीण मांग बढ़ने और कृषि तथा सेवा क्षेत्रों का उत्पादन मजबूत रहने से चालू वित्त वर्ष में देश का जीडीपी 6.4 से 6.8 फीसदी बढ़ेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण खपत, सरकारी व्यय, निवेश और मजबूत सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2025 की तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि की रफ्तार बढ़ाएंगे।
आरबीआई का यह अनुमान चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि 5.4 फीसदी रह जाने के बाद आया है। जीडीपी वृद्धि की इतनी कम दर सात तिमाही में पहली बार देखी गई। आरबीआई ने उस तिमाही में 7 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था।
वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि (सालाना) 6 फीसदी रही जो 2023-24 की पहली छमाही के 8.2 फीसदी और दूसरी छमाही के 8.1 फीसदी वृद्धि के आंकड़े से काफी कम थी।
पहली छमाही में वृद्धि पर अनिश्चित मौसम की समस्याओं ने भी असर डाला था लेकिन अब वह असर नजर नहीं आ रहा है क्योंकि खरीफ फसलों की बोआई में सुधार दिख रहा है। आने वाली तिमाहियों में वृद्धि पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
क्वांटइको रिसर्च के अर्थशास्त्री विवेक कुमार ने कहा, ‘खरीफ का सामान्य उत्पादन बहुत राहत की बात है। रबी की बोआई में भी अच्छी प्रगति है और इन सब की वजह से मौसमी बाधाओं के पिछले असर की भरपाई हो जाएगी। महंगाई में भी कमी आ रही है जिससे खरीद क्षमता में भी सुधार होगा और खपत बढ़ेगी। इसके अलावा वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में सरकारी व्यय बढ़ने से भी आंकड़ों में सुधार दिखेगा।’
क्वांटइको ने वित्त वर्ष 2025 में 6.4 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। कुमार कहते हैं कि पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में अधिक वृद्धि का अनुमान है और यह करीब 6.8 फीसदी होगी।
कई एजेंसियों और विश्लेषकों ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अपना अनुमान कम कर दिया है। फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7 फीसदी के पिछले अनुमान से घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया। गोल्डमैन सैक्स ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए अपने पूर्वानुमान को 6.4 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया।
ये दोनों पूर्वानुमान वित्त मंत्रालय के वित्त वर्ष 2025 के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि के पिछले अनुमान से कम हैं। मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में वृद्धि की तस्वीर बेहतर दिख रही है। इस दौरान ग्रामीण मांग में मजबूती बनी हुई है और तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान शहरी मांग में भी तेजी आई है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में देश के भीतर दोपहिया और तिपहिया वाहनों तथा ट्रैक्टरों की बिक्री में बढ़त ग्रामीण क्षेत्र की मांग में मजबूती के संकेत देती है। इसी दौरान हवाई यात्रियों की तादाद में बढ़ोतरी से शहरी मांग बढ़ने का पता लगता है।
डेलॉयट इंडिया को उम्मीद है कि सेवा क्षेत्र के उत्पादन में मजबूती और कृषि क्षेत्र के लगातार बेहतर प्रदर्शन से वृद्धि 6.5 से 6.8 फीसदी के बीच रहेगी।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही पूंजीगत व्यय में कुछ कमी हो लेकिन सार्वजनिक व्यय बेहतर होने की उम्मीद है जिससे आने वाली तिमाहियों में वृद्धि बेहतर होगी।
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का कहना है, ‘सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाएगी जो इस वित्त वर्ष में कम था। केंद्र की तरफ से यह कोशिश की जाएगी कि वित्त वर्ष के बाकी महीने में खर्च बढ़ाया जाए।’