facebookmetapixel
Delhi Weather Update: सावधान! दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का कहर, IMD ने कोल्ड-वेव अलर्ट जारी कियाNowgam Blast: फरीदाबाद में जब्त विस्फोटकों के कारण श्रीनगर में पुलिस थाने में धमाका; 8 की मौत, 27 घायलDecoded: 8वें वेतन आयोग से कर्मचारी और पेंशनरों की जेब पर क्या असर?DPDP के नए नियमों से बढ़ी ‘कंसेंट मैनेजर्स’ की मांगसरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगे

वित्तीय प्रोत्साहन के पक्ष में नहीं सरकार

Last Updated- December 12, 2022 | 5:42 AM IST

आर्थिक परिदृश्य के कमजोर पडऩे, कोविड की स्थिति गंभीर होने और कई प्रमुख शहरों में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद भी सरकार के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि केंद्र फिलहाल उद्योग को किसी तरह की वित्तीय मदद नहीं देने जा रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के बारे में विचार करना अभी जल्दबाजी होगी। वास्तव में इसकी जरूरत भी नहीं है क्योंकि पिछले साल की तरह उद्योगों पर असर नहीं पड़ा है। अभी संपूर्ण लॉकडाउन नहीं है। रेलवे, विमानन सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन संचालित की जा रही हैं। लॉकडाउन या पाबंदियां स्थानीय स्तर पर लगाई गई हैं जो पिछले साल जैसी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कोई चिंता की बात नहीं है। कुछ स्थानीय मसले हैं जिसे बाद में प्रभाव का आकलन कर दूर कर लिया जाएगा।
दिल्ली ने सोमवार से एक हफ्ते का लॉकडाउन लगा दिया है, वहीं महाराष्ट्र ने पिछले हफ्ते कफ्र्यू और अन्य पाबंदियां की घोषणा की थी। इससे गैर-आवश्यक वस्तुओं के विनिर्माण की करीब 50 फीसदी इकाइयों पर असर पड़ रहा है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक आदि के प्रमुख शहरों में भी लॉकडाउन की घोषणा की गई है।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘कुछ राज्यों में लॉकडाउन से सकल घरेलू उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा और बजट में काफी संकुचित अनुमान लगाया गया है।’ उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कारखानों के बंद होने से अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पडऩे की आशंका नहीं है।   
पिछले साल अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन चरणों में प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया था। हालांकि इस साल केंद्र उद्योगों तथा नगारिकों की मदद का जिम्मा राज्य सरकारों पर छोड़ सकती है।
उदाहरण के लिए पिछले साल केंद्र ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याणन अन्न योजना के तहत हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम गेहूं या चावल मुफ्त में दिया था। इस योजना के लाभार्थियों की संख्या करीब 80 करोड़ थी। इसके अलावा सभी पात्र परिवारों को हर महीने 1 किलो दाल भी मुफ्त दिया गया था।
हालांकि इस साल गोदामों में अनाजों का भंडार होने के बावजूद केंद्र इस तरह की योजना शुरू करने की जल्दी में नहीं है। इसकी जगह वह चाहती है कि राज्य सरकारें अपना मुत खाद्यान्न वितरण योजना शुरू करे।
चार प्रमुख राज्यों और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार सहित कुछ सांसदों द्वारा केंद्र से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की तरह योजना शुरू करने का आग्रह किया है। महाराष्ट्र पहला राज्य है जिसने  1 मई से अगले तीन महीने तक राशन कार्ड धारकों को मुफ्त अनाज देने की घोषणा की है। इसके बाद मध्य प्रदेश ने भी तीन महीने तक मुफ्त राशन देने का ऐलान किया है। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि नीतिनिर्माताओं का काम इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा जटिल होगा क्योंकि समस्या मांग पक्ष की ओर से है जबकि पिछले साल मांग एवं आपूर्ति दोनों की ओर से समस्या थी।  सूक्ष्म, लघु एवं मझाले उद्योगों के संगठन फिस्मे के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि रिजर्व बैंक को उधारी सुविधा के जरिये ज्यादा लचीलापन दिखाना चाहिए और एसएमई को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

First Published - April 20, 2021 | 11:06 PM IST

संबंधित पोस्ट