आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने सोमवार को संकेत दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए नए उपाय कर सकती है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि जुलाई-सितंबर तिमाही के 5.4 फीसदी से काफी बेहतर हो।
सेठ ने संवाददाताओं से कहा, ‘सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े हमारी आशा के अनुरूप नहीं हैं मगर चिंताजनक भी नहीं हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास तेज है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि दर बेहतर रहे।’ मगर सेठ ने यह नहीं बताया कि सरकार क्या उपाय करने वाली है।
संभावना जताई जा रही है कि सरकार पूंजीगत व्यय को बढ़ाएगी, जो अक्टूबर के अंत तक पूरे वित्त वर्ष 2025 के लक्ष्य का सिर्फ 42 फीसदी तक पहुंचा है। शहरी वेतन में कम वृद्धि को भी अर्थव्यवस्था में धीमी खपत वृद्धि का प्रमुख कारण बताया गया है।
सेठ ने कहा कि अक्टूबर में कई उच्च आवृत्ति वाले संकेतक भी आर्थिक गतिविधियों में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पूरे आंकड़े आने पर तिमाही अनुमान बढ़ने की उम्मीद है। तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर काफी अधिक रहने की भी उम्मीद है।’
वित्त मंत्रालय को पूरे वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि 6.5 से 7 फीसदी के दायरे में रहने की उम्मीद है। हालांकि कई एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को शुरू के 7 फीसदी से कम करके 6 से 6.5 फीसदी के दायरे में कर दिया है। यूबीएस ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को पहले के 6.7 फीसदी से कम कर 6.3 फीसदी कर दिया है।
बहरहाल, त्योहारी और शादी-विवाह के सीजन की मांग, ग्रामीण धारणा में सुधार और सरकारी खर्च में सुधार के कारण वित्तीय सेवा फर्म को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। यूबीएस की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, ‘धीमी घरेलू आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर हमारा मानना है कि सरकार को चक्रीय विरोधी राजकोषीय नीति से बचना चाहिए और घरेलू मांग का समर्थन करना चाहिए।’
वृद्धि में नरमी के लिए राज्यों और केंद्र के स्तर पर व्यय में सुस्ती का हवाला देते हुए एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे चालू वित्त वर्ष में वृद्धि 6 से 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्यों में खर्च पर लगाई गई शर्तों के कारण हम दूसरी छमाही में किसी खास वृद्धि की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।’
इलारा सिक्योरिटीज ने तीसरी तिमाही में मांग में बड़े बदलाव की कम उम्मीद और चालू वित्त वर्ष मंए पूंजीगत व्यय के लक्ष्य से कम रहने की आशंका के कारण वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक कम कर 6.5 फीसदी कर दिया है। आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जीडीपी 2024-25 में 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत के उच्च स्तर से कम है।