वित्त मंत्रालय ने जुलाई की मासिक आर्थिक रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक रुख बरकरार रखा है। पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के पहले आई इस रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक के उपभोक्ता विश्वास और औद्योगिक परिदृश्य सर्वे में सतर्क रुख अपनाया गया है।
गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अब तक वित्त वर्ष 2025 के लिए वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में लगाया गया वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 से 7 प्रतिशत होने का अनुमान उचित लगता है।’
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उपभोक्ता और औद्योगिक परिदृश्य सर्वे, जिसमें गिरावट का रुझान दिखा है, पर भविष्य के रुझानों के लिए नजर रखने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार और कीमतों को लेकर कम भरोसा के कारण जुलाई 2024 में उपभोक्ता विश्वास सर्वे-15 के फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स में सुस्ती आई है। विनिर्माण क्षेत्र के औद्योगिक परिदृश्य सर्वे और केंद्रीय बैंक द्वारा कराए गए सर्वे से पता चलता है कि अगस्त में कारोबारी धारणा के अपेक्षा सूचचकांक और वर्तमान मूल्यांकन दोनों में गिरावट आई है।
वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि शेष वर्ष में पूंजीगत व्यय और कुल व्यय बढ़ेगा, जो इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आम चुनाव के कारण सुस्त रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल से जून 2024 के दौरान कुल व्यय और पूंजीगत व्यय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमशः 7.7 प्रतिशत और 35 प्रतिशत कम रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पूंजीगत व्यय उच्च स्तर पर बरकरार है, जिससे निजी निवेश चक्र को समर्थन मिल रहा है।’
वित्तीय मोर्चे को लेकर इसमें कहा गया है कि केंद्रीय बजट 2025 में राजकोषीय घाटे को कम करने की उतार चढ़ाव वाली राह बनाई गई है। इसे मजबूत राजस्व संग्रह, राजस्व व्यय में अनुशासन और तेज आर्थिक प्रदर्शन का समर्थन मिल रहा है। इससे राजकोषीय घाटा कम होने का अनुमान है।
आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था जुलाई 2024 में कई आर्थिक संकेतकों के हिसाब से उल्लेखनीय रूप से तेज हुई है, जिससे मजबूत कारोबारी गतिविधियों के संकेत मिलते हैं। जुलाई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस महीने में बेहतरीन उपलब्धियां रही हैं। जीएसटी संग्रह में तेजी, ईवे बिल सृजन में बढ़ोतरी से कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के संकेत मिलते हैं। शेयर बाजार सूचकांक भी जुलाई में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक रफ्तार अप्रभावित है। असमान मॉनसून के बावजूद जलाशय भर गए हैं। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महंगाई दर कम हो रही है और वस्तुओं और सेवाओं दोनें का निर्यात पिछले साल से बेहतर चल रहा है।