बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि सरकार देश भर में बंदरगाहों को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात के केंद्रों के रूप में विकसित कर रही है।
सोनोवाल ने कहा, ‘पूरे देश में 1.2 करोड़ टन से अधिक ग्रीन हाइड्रोजन पर आधारित ई-ईंधन क्षमता की घोषणा की गई है। हमारे बंदरगाह ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, बंकरिंग और निर्यात के केंद्रों में विकसित हो रहे हैं। प्रमुख वैश्विक व्यापार मार्गों के अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा व्यापार के माध्यम से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को जोड़ने वाले ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर का केंद्र बनने की स्थिति में है।’
जहाजरानी मंत्रालय के सचिव विजय कुमार ने कहा कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी बन रहा है और भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा जारी किए गए टेंडर लागत प्रतिस्पर्धी ग्रीन ईंधन उत्पादन को प्रेरित कर रहे हैं, जिसकी लागत ग्रीन अमोनिया के 571 डॉलर प्रति टन के स्तर पर कम है। यह वैश्विक स्तर पर सबसे कम कीमतों में से एक है।
कुमार ने कहा, ‘आईएमडब्ल्यू 2025 में कई मंत्रियों ने भारत से ग्रीन अमोनिया, ग्रीन ईंधन के आयात में दिलचस्पी दिखाई है। हममें दुनिया को ग्रीन ईंधन की आपूर्ति करने की क्षमता है, इसलिए हम इसपर काम कर रहे हैं।’भारत ने पहले ही ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर शुरू किया है। हाल में सरकार ने 69,725 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी है।