विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंगला ने आज कहा कि शनिवार से शुरू होने जा रही जी-20 की 16वीं बैठक में अन्य प्रमुख मसलों के अलावा महामारी की चपेट में आई अर्थव्यवस्था की सतत एवं लचीली आर्थिक रिकवरी पर ध्यान होगा।
संवाददाताओं को इसके बारे में जानकारी देते हुए शृंगला ने कहा, ‘विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ बातचीत और वैश्विक आर्थिक विकास एवं रिकवरी के मानक व धारणा तय करने के हिसाब से जी-20 भारत के लिए अहम मंच है।’
जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 29 से 31 अक्टूबर तक रोम की यात्रा के पहले शृंगला का यह बयान आया है। महामारी के बाद यह जी-20 की पहली आमने सामने की बैठक है और इसमें मौजूदा वैश्विक स्थिति और रिकवरी की योजना पर चर्चा होगी, जिससे कि उच्च वृद्धि को फिर से हासिल किया जा सके।
जी-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं, जिनकी विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 80 प्रतिशत, वैश्विक कारोबार में 75 प्रतिशत और विश्व की जनसंख्या में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
वह पोप फ्रांसिस के बुलावे पर वेटिकन सिटी भी जाएंगे। उसके बाद मोदी ग्लासगो जाएंगे और वहां यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के 26वें कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज (सीओपी-26) के वल्र्ड लीडर्स समिट में हिस्सा लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘आगामी सम्मेलन का अहम मसला आर्थिक स्वास्थ की रिकवरी, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास होगा। अब हमें महामारी से लड़ते करीब दो साल होने जा रहा है। उन्होंने पहले ही वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन के लिए महत्त्वाकांक्षी एजेंडा तैयार किया है, जिनमें चल रहे संकट से रिकवरी पर समानांतर ध्यान है। साथ ही इसमें भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी तैयारियों, और संकट को लेकर भी ब्योरा शामिल है।’
इसके अलावा आपसी सहमति से टीका प्रमाणपत्र के साथ अंतरराष्ट्रीय यात्रा को लेकर भी चर्चा होगी।
शृंगला ने यह भी कहा कि भारत को उम्मीद है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जल्द ही भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके कोवैक्सीन को मंजूरी दे देगा और केंद्र सरकार इस मसले पर वैश्विक स्वास्थ्य निकाय पर नजर बनाए हुए है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी जी-20 की संयुक्त वित्त व स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने 29 अक्टूबर को रोम जाएंगी।
