विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने वित्त वर्ष 2024 में भारत के लिए अपने आर्थिक विकास अनुमानों को घटा दिया है। जीडीपी वृद्धि में यह कटौती वैश्विक एवं घरेलू दोनों मोर्चों पर जोखिम का हवाला देते हुए की गई है।
विश्व बैंक (World Bank) ने अपने जीडीपी वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक घटाकर 6.3 फीसदी और ADB ने जीडीपी अनुमान को 80 आधार अंक घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया है।
विश्व बैंक ने कहा है कि वैश्विक वृद्धि की सुस्त रफ्तार, मौद्रिक नीति में सख्ती के प्रभाव और खपत में नरमी के मद्देनजर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि वित्त वर्ष 2023 में 6.9 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 6.3 फीसदी रहने के आसार हैं।
उसने कहा कि मौद्रिक नीति में सख्ती, वृद्धि के लिए अनिश्चितता बढ़ने और सरकार के मौजूदा खर्च में नरमी के कारण वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारत की घरेलू मांग घट सकती है।
दूसरी ओर ADB ने कहा है कि यदि वैश्विक स्थिति अधिक खराब नहीं हुई तो वैश्विक मांग में तेजी से भारत को भी गति मिलेगी। मगर, भू-राजनीतिक तनाव के बिगड़ने से वैश्विक मांग पर दबाव एवं अनिश्चितता बढ़ने से भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी प्रभावित होगी। साथ ही इससे मुद्रास्फीति भी बढ़ेगी। घरेलू मोर्चे पर कृषि उपज पर मौसमी मार, असामान्य बारिश अथवा तापमान से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। ऐसे में ब्याज दरें बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक पर दबाव बढ़ेगा।
विश्व बैंक ने चेताया है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान कम आय-वर्ग के लोगों की आमदनी पर्याप्त न बढ़ने के कारण उपभोक्ता खर्च को झटका लगेगा। हालांकि घरेलू खपत में वृद्धि को लेकर ADB कहीं अधिक आशान्वित है।
निजी निवेश की मांग में सुधार के बारे में विश्व बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही तक निवेश चक्र में तेजी दिखेगी जिसे वैश्विक वृद्धि में सुधार और उधारी लागत में नरमी से बल मिलेगा।
ADB ने कहा है कि मौद्रिक नीति में सख्ती, उधारी दरों में तेजी, वैश्विक अनिश्चितता और कारोबारी परिदृश्य को लेकर आशंका के कारण चालू वित्त वर्ष में निजी निवेश में नरमी दिख सकती है।
विश्व बैंक और ADB दोनों ने अनुमान जाहिर किया है कि वित्त वर्ष 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 से 5.4 फीसदी के दायरे में रहेगी क्योंकि तेल एवं खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी आएगी।