महालेखा नियंत्रक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्र का राजकोषीय घाटा 4.7 लाख करोड़ रुपये है। यह वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान का 29.4 प्रतिशत है। यह पिछले साल की समान अवधि में बजट अनुमान के 39.9 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रखा है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही की तुलना में सुधार की वजह इस वित्त वर्ष की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक का लाभांश भुगतान और पूंजीगत व्यय में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में आई कमी है।
सितंबर 2024 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में सकल कर संग्रह 12 प्रतिशत और आयकर संग्रह 25 प्रतिशत बढ़ा है। कुल प्राप्तियां वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान का 51 प्रतिशत रहीं, जो पिछले साल के 52 प्रतिशत के करीब है।
वित्त वर्ष 25 के अप्रैल-सितंबर के दौरान पूंजीगत व्यय, जिसे भौतिक बुनियादी ढांचा तैयार करने में खर्च किया जाता है, 11.1 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान का 37 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 49 प्रतिशत था।
सरकार को दूसरी छमाही में 1.16 लाख करोड़ रुपये प्रति माह खर्च करना होगा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘इसमें पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के मुकाबले 52 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी जो कि चुनौतीपूर्ण नजर आता है।