वित्त मंत्रालय ने आज कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर से आर्थिक रिकवरी प्रभावित हुई थी, वह अब अगली तीन तिमाही के दौरान तेजी से बहाल होगी। मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना की तीसरी लहर आने पर भी तेजी जारी रहेगी। मंत्रालय ने कहा है कि टीकाकरण अभियान के गति पकडऩे और प्रमुख व्यापक आर्थिक संकेतकों में तेजी की वजह से यह भरोसा बहाल हुआ है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने अगस्त के लिए अपनी मासिक समीक्षा में कहा है, ‘टीकाकरण का कवरेज तेजी से बढ़ रहा है। महामारी के प्रबंधन में भी मजबूती आई है। इसकी वजह से यह भरोसा बना है कि अगर अब तीसरी लहर भी आती है तो रिकवरी जारी रहेगी।’
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों की वजह से भारत में 2021-22 की अगली तीन तिमाहियों में तेजी से रिकवरी होगी। बहरहाल मंत्रालय ने केरल और महाराष्ट्र में कोविड के मामले बढऩे को लेकर चिंता जताई है और इस बात पर जोर दिया है कि इन दो राज्यों में महामारी के प्रबंधन की जरूरत है।
मंत्रालय ने आगे कहा है कि भारत की आर्थिक रिकवरी की गति पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 21) की दूसरी छमाही की तुलना में दूसरी लहर के कारण बाधित हुई है। बहरहाल वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में टीकाकरण में तेजी आई है। साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उत्पादन में क्रमिक गिरावट हुई है।
इसमें कहा गया है कि दूसरी लहर के ज्यादा घातक होने के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 20 प्रतिशत रही है, जिससे अर्थव्यवस्था में वी आकार की रिकवरी का पता चलता है। इसमें कहा गया है कि महामारी के पहले के वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के स्तर के 90 प्रतिशत से ज्यादा तक रिकवरी हो गई है। हालांकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 24 प्रतिशत का तेज संकुचन हुआ था।
टीकाकरण के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 सितंबर तक टीकाकरण का कवरेज अब वयस्क आबादी के 60 प्रतिशत तक हो गया है। अब तक 54.1 करोड़ लोगों को 70.75 खुराक दी जा चुकी है, जो कुल वयस्क आबादी का करीब 62.5 प्रतिशत है। इतनी आबादी को कम से कम टीके की एक खुराक दी जा चुकी है। वहीं 16.7 करोड़ लोगों (वयस्क आबादी का 19.3 प्रतिशत) दो खुराक दी जा चुकी है।
विभिन्न सेक्टर के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की मजबूत वृद्धि जारी है। विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में तेज बहाली की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था में ढांचागत मजबूती के संकेत मिलते हैं।