असंगठित क्षेत्र में अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 की अवधि के दौरान रोजगार सृजन की रफ्तार धीमी रही और इस दौरान अतिरिक्त रोजगार सृजन घटकर 1.09 करोड़ रह गया जबकि अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 की अवधि के दौरान रोजगार के 1.17 करोड़ मौके बने थे। इसके विपरीत असंगठित क्षेत्र में वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान ज्यादा प्रतिष्ठान जुड़े और इनकी तादाद 83.6 लाख थी जबकि वर्ष 2022-23 के दौरान 53.4 लाख नए प्रतिष्ठान असंगठित क्षेत्र से जुड़े थे।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा मंगलवार को ‘असंगठित क्षेत्र उद्यमों का सालाना सर्वेक्षण’ शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी की गई जिससे इस बात का अंदाजा मिला है। असंगठित उद्यम वास्तव में ऐसी व्यावसायिक इकाइयां होती हैं जो कंपनी अधिनियम, 1956 या कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक अलग वैध इकाई के रूप में कानूनी तरीके से शामिल नहीं की गई हैं। इस तरह के उद्यमों में आमतौर पर छोटे कारोबार, एकल स्वामित्व वाले कारोबार, साझेदारी वाले कारोबार और अनौपचारिक क्षेत्र के कारोबार शामिल हैं।
सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 की अवधि के दौरान असंगठित प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 7.34 करोड़ थी जो अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 की अवधि के दौरान 6.50 करोड़ प्रतिष्ठानों की तुलना में अधिक है। इसी तरह असंगठित क्षेत्र में काम पाने वाले कामगारों की कुल संख्या 12.06 करोड़ थी जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 10.96 करोड़ कामगारों की तुलना में अधिक है।
सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए जाने के मौके पर मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के बाद कोविड महामारी का प्रभाव खत्म होने के साथ ही वृद्धि में देखी गई तेजी के प्रभाव को ये आंकड़े दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार की कई पहल के चलते सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम स्तर के उद्यमों को महामारी के दौरान मदद मिली थी जिसके चलते उनके कारोबार में भी स्थिरता देखी गई और जब अर्थव्यवस्था में वृद्धि दिखनी शुरू हुई उसके बाद इन उद्यमों में भी उसी रफ्तार में तेजी देखी जाने लगी। ये सर्वेक्षण इसी बात को इंगित करता है।’
यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के विजिटिंग प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा कहते हैं कि असंगठित क्षेत्र को अभी नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और कोविड के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन के प्रभाव से पूरी तरह उबरने में वक्त लगेगा। प्रतिष्ठानों की बढ़ती तादाद इसलिए दिख रही है क्योंकि कर्मचारियों की भर्ती कर काम कराने वाले उद्यमों की हिस्सेदारी की तुलना में स्वयं के खाते पर काम करने वाले उद्यमों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है।
कर्मचारियों वाले उद्यम का अर्थ यह है कि उसमें नियमित रूप से कम से कम एक व्यक्ति की भर्ती भी काम करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति अब भी स्पष्ट रूप से चिंताजनक है क्योंकि जीडीपी वृद्धि दूसरी तिमाही में सपाट रही और ताजा सालाना पीएलएफएस आंकड़े दर्शाते हैं कि खेती से जुड़े लोगों की हिस्सेदारी में करीब 20 लाख की बढ़त देखी गई है। हताशा की स्थिति बनने की वजह से ही लोग अपनी आजीविका के लिए अपने उद्यम स्थापित कर रहे हैं जिसे गलत तरीके से उद्यमशीलता से जोड़ा जा रहा है।’
वर्ष 2023-24 में भर्ती किए गए कामगार के औसत वेतन में वर्ष 2022-23 की तुलना में 13 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई और यह 1,41,000 रुपये हो गया जिससे वेतन के स्तर में सुधार के संकेत मिलते हैं।