मई में उपभोग पर पड़े लू के असर से जून में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में एक अंक में यानी 7.7 फीसदी की वृद्धि हुई, साथ ही इस पर आधार वर्ष का भी प्रभाव पड़ा। विश्लेषकों का ऐसा मानना है।
जून में जीएसटी संग्रह (जो मई में हुए लेनदेन को प्रतिबिंबित करता है) 1.74 लाख करोड़ रुपये रहा और बिजनेस स्टैंडर्ड ने सोमवार को यह खबर दी थी। सालाना आधार पर यह वृद्धि कम रही क्योंकि अप्रैल व मई में इसमें क्रमश: 12.4 फीसदी व 10 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
विश्लेषकों ने कहा, यह हालांकि मंदी नहीं है लेकिन यह उपभोग में नरमी का संकेत देता है, जिस पर संभवत: लू के हालात का असर पड़ा, जो देश भर में मई के दौरान देखा गया था।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, जीएसटी वृद्धि में नरमी की संभावित वजहों में से एक गर्मी का अस्थायी असर था और कुछ क्षेत्रों की गतिविधियां चुनाव के चलते प्रभावित हुई। इसके अतिरिक्त आधारभूत प्रभाव का भी जीएसटी संग्रह में नरमी में योगदान रहा होगा।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर (उपभोक्ता उत्पाद) और लीडर (रिटेल सेक्टर) आनंद रामनाथन ने कहा, यह वैसे समय का संकेत दे रहा है जहां 7.7 फीसदी की वृद्धि को मंदी के तौर पर देखा जा रहा है। गर्मी के महीने में मौसम के कुछ अप्रत्याशित हालात थे, जहां गर्मी थोड़ी ज्यादा रही। इससे काफी हद तक उपभोग पर असर पड़ा क्योंकि लोग घरों से बाहर नहीं निकले।
एफएमसीजी कंपनियां जून की तिमाही में सुस्ती की खबरें दे सकती हैं, जिसकी वजह लू के हालात और उच्च खाद्य महंगाई के प्रभाव का बना रहना है।
(साथ में श्रीमी चौधरी)