वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और संरक्षणवाद के बढ़ते जोर के बीच बजट से पहले वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में खास तौर पर राज्य स्तर पर विनियम का बोझ कम करके कारोबार को आसान बनाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का समझदारी के साथ उपयोग करने की बात कही गई है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ये नीतियां अगले दशक में निरंतर और समावेशी 8 फीसदी वृद्धि दर सुनिश्चित करने के लिए निवेश और दक्षता को बढ़ावा देंगी। साथ ही 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकेगा। हालांकि इस लक्ष्य को पाने के लिए हर साल करीब 80 लाख नौकरियां सृजित करने, भारतीय कारोबार को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ना और अर्थव्यवस्था में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी के दायरे में रहेगी, जो वित्त वर्ष 2025 के लिए 6.4 फीसदी अग्रिम अनुमान से ज्यादा नहीं है। पिछले साल की समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। एआई से बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म होने के डर के मद्देनजर आर्थिक समीक्षा में भारतीय उद्योग जगत से उच्च स्तर की सामाजिक जिम्मेदारी दिखाने की अपील की गई है। भारत में श्रम पर एआई के असर को रेखांकित करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि श्रम पर एआई का प्रभाव दुनिया भर में महसूस किया जाएगा लेकिन भारत के आकार व अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति आय को देखते हुए देश में इसका ज्यादा असर पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के इस दस्तावेज में कंपनियों को आगाह करते हुए कहा गया है कि अगर वे इस नई तकनीक का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल नहीं करते हैं तो नौकरियां गंवाने वाले लोगों की क्षतिपूर्ति के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना होगा और उन पर कर भी लगाना पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में आगाह किया गया कि सरकार को उन संसाधनों को जुटाने के लिए श्रम के बदले प्रौद्योगिकी के उपयोग से होने वाले मुनाफे पर कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। जब यह पूछा गया कि आर्थिक समीक्षा में इस तरह के कर का पक्ष लिया गया है तो नागेश्वरन ने स्पष्ट किया कि यह कल्पना है मगर हकीकत बन सकती है। लेकिन समीक्षा में कंपनियों पर कर लगाने का कोई संकेत कतई नहीं दिया गया है।
वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता को देखते हुए आर्थिक समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत को अपनी घरेलू मांग में वृद्धि को बढ़ावा देना होगा। बजट पूर्व दस्तावेज में कहा गया है कि ज्यादातर विनियमों के अनुपालन के लिए व्यवसायों को कुछ पैसे खर्च करने होते हैं। समीक्षा में राज्यों को विनियमन के बोझ को कम करने, तंत्र को समरूप बनाने, उदार मानक बनाने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही कारखानों में महिलाओं के काम करने पर लगी रोक हटाने, शुल्क बोझ कम करने पर ध्यान देना चाहिए।
सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून पर झटका लगा था और श्रम संहिताओं के बारे में अनिश्चितता अब भी बरकरार है। इस बीच आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि राज्यों को भूमि, श्रम एवं मकान संबंधी विनियमों को हटा लेना चाहिए ताकि कारोबारी सुगमता में सुधार हो सके।