Economic Survey 2024: संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कृषि को विकास के केंद्र में रखने पर बल देते हुए कहा गया है कि भारत को कृषि से उद्योग और सेवाओं की ओर जाने की अपनी रणनीतियों को छोड़ना पड़ सकता है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था अपनी खाद्य, भौतिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए परिपक्व हो गई है।
हालांकि समीक्षा में कहा गया है कि राष्ट्रीय और राज्य सरकारों की एक दूसरे की विपरीत नीतियों से किसानों के हितों पर चोट पड़ रही है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन नष्ट हो रहा है और भूजल स्तर में कमी आने के साथ अन्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
समीक्षा में कृषि पर केंद्रित भारतीय विकास मॉडल पर जोर दिया गया है क्योंकि यह घटती नौकरियों और आमदनी में कमी सहित कई समस्याओं को दूर कर सकता है। इसमें कहा गया है कि कृषि तौर-तरीके और उससे संबंधित नीति निर्माण में जड़ों की तरफ लौटने वाली नीति से कृषि में ज्यादा मूल्यवर्धन हो सकता है। इससे किसानो की आमदनी बढ़ेगी और खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात के अवसर पैदा होंगे। इस तरह कृषि क्षेत्र भारत के शहरी युवाओं के लिए आकर्षक और उत्पादक बन सकेगा।
समीक्षा में बाजार विकसित होने तक संवेदनशील खाद्य जिंसों जैसे आम चावल, गेहूं और ज्यादातर दलहन को वायदा कारोबार में शामिल किए जाने को लेकर आगाह किया गया है। हालांकि सरकार डेरिवेटिव कारोबार के लिए के पात्र जिंसों की सूची बढ़ा रही है। सरकार ने हाल में इस डेरिवेटिव जिंसों की सूची को बढ़ाया है और इसमें शामिल जिंस की संख्या 1 मार्च 2024 को 104 हो गई है जो पहले 91 थी।
उर्वरक सब्सिडी को बेहतर तरीके से लक्षित करने के लिए समीक्षा में ‘एग्री स्टैक’ डिजिटल व्यवस्था का सुझाव दिया गया है, जिससे सिर्फ चिह्नित किसानों को ही सब्सिडी वाली खाद की निश्चित मात्रा में बिक्री सुनिश्चित हो सके। इसमें डिजिटल भुगतान व्यवस्था ई-रुपी के माध्यम से किसानों को सीधे उर्वरक सब्सिडी का सुझाव देते हुए कहा गया है कि इसकी प्रायोगिक योजना कुछ राज्यों के एक जिले में चलाई जा सकती है। फरवरी में पेश अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उर्वरक सब्सिडी पर आवंटन 1.64 लाख करोड़ रुपये था जबकि इससे पहले के वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 1.89 लाख करोड़ रुपये था।
समीक्षा में कृषि क्षेत्र में शोध के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि शोध के लिए आवंटन बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि कृषि क्षेत्र में शोध में एक रुपये के निवेश से 13.5 रुपये रिटर्न मिलता है। समीक्षा में ‘नैशनल मिशन आन ऑयल-पाम’ की तर्ज पर खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किए जाने की सिफारिश की गई है।
महंगाई पर काबू पाने के लिए समीक्षा में विभिन्न विभागों द्वारा एकत्रित आवश्यक खाद्य वस्तुओं के तेजी से घटते-बढ़ते मूल्यों की निगरानी आंकड़ों को आपस में इस तरह जोड़ने का सुझाव दिया गया है जिससे कि खेत से लेकर उपभोक्ता तक प्रत्येक स्तर पर कीमतों में होने वाली वृद्धि की निगरानी तथा मात्रा का आकलन करने में मदद मिल सके। इसमें कहा गया है कि वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादक मूल्य सूचकांक तैयार करने के प्रयासों में तेजी लाई जा सकती है, ताकि लागत के कारण बढ़ने वाली महंगाई दर को बेहतर ढंग से समझा जा सके।