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इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स का सुझाव, CPI में सुधार के लिए घरेलू उपभोग पर किए जाने वाले खर्च पर नियमित सर्वे की जरूरत

यह भी सुझाव दिया गया कि सूचकांकों (indices) के जारी करने का समय बदला जा सकता है ताकि यूजर्स को उसी दिन विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

Last Updated- September 25, 2024 | 3:48 PM IST
Ministry conference discusses frequent household expenditure surveys इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स का सुझाव, CPI में सुधार के लिए घरेलू उपभोग पर किए जाने वाले खर्च पर नियमित सर्वे की जरूरत

देश में घरेलू उपभोग पर किए जाने वाले खर्च (household consumption expenditure) पर नियमित सर्वेक्षण आयोजित किए जाने चाहिए ताकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और अन्य व्यापक आर्थिक संकेतकों के आधार संशोधन (base revision) के लिए ताजा जानकारी उपलब्ध हो सके। यह सुझाव अर्थशास्त्रियों और विभिन्न इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स ने सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में दिया।

यह सम्मेलन बुधवार को मुंबई में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Mospi) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें 50 से अधिक विभिन्न संगठनों के इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स और अर्थशास्त्री शामिल हुए। इसमें मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (V Anantha Nageswaran), आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव अजय सेठ (Ajay Seth), प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य नीलेश शाह (Nilesh Shah) और अर्थशास्त्री गणेश कुमार (Ganesh Kumar) और इला पटनायक (Ila Patnaik) ने भाग लिया।

सांख्यिकी मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, “इस सम्मेलन से प्राप्त प्रमुख सुझावों में, घरेलू उपभोग पर किए जाने वाले खर्च पर नियमित सर्वेक्षण आयोजित किए जाने की सिफारिश की गई ताकि CPI और अन्य व्यापक आर्थिक संकेतकों के आधार का संशोधन समय-समय पर हो सके।”

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बयान में आगे कहा गया, “इसके अलावा, CPI की रिवाइज सीरीज में सर्विसेज की बेहतर कवरेज की संभावना का पता लगाया जा सकता है। नियोक्ता द्वारा प्रदान की जाने वाली आवासीय सुविधाओं को CPI से बाहर रखा जा सकता है ताकि डेटा में कंसिस्टेंसी बनी रहे। हाउसिंग इंडेक्स को तैयार करने की व्यवस्था को रिव्यू किया जा सकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और हाउसिंग इंडेक्स के लिए डेटा संग्रह की पद्धतियों को समझने के लिए इस प्रकार की बैठकों के नियमित आयोजन का भी सुझाव दिया गया।”

इस सम्मेलन में शामिल हुए प्रतिभागियों ने GDP के भौगोलिक आयामों पर जोर देने का सुझाव दिया, जिसमें शहरी/ग्रामीण, जिला घरेलू उत्पाद जैसे उप-विभाजनों का ध्यान रखा जाए, साथ ही मूल मुद्रास्फीति की एक समान समझ के लिए सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मूल मुद्रास्फीति के संकलन की संभावना का पता लगाया जाए।

यह भी सुझाव दिया गया कि सूचकांकों (indices) के जारी करने का समय बदला जा सकता है ताकि यूजर्स को उसी दिन विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

First Published - September 25, 2024 | 3:48 PM IST

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