facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

E-receipt in B2C: उपभोक्ता लेनदेन में भी ई-रसीद!

जीएसटी परिषद की बैठक में बी2सी लेनदेन के लिए ई-रसीद अनिवार्यता पर हो सकता है फैसला

Last Updated- September 04, 2024 | 10:36 PM IST
53rd GST Council meeting

कारोबारियों को अब अपने उत्पाद या सेवाएं बेचने पर ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक रसीद (ई-रसीद) देने को कहा जा सकता है। सोमवार को होने जा रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में ई-रसीद का दायरा बढ़ाकर बिजनेस-टु-कंज्यूमर लेनदेन तक किए जाने की संभावना है।

इस समय उन कारोबारियों के लिए ई-रसीद अनिवार्य है, जिनका बिजनेस-टु-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन में कारोबार 5 करोड़ रुपये से ऊपर है। इस योजना से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि इस कदम से कर चोरी रोकने और उपभोक्ता लेनदेन के मामलों में नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, ‘इच्छुक राज्यों के साथ तालमेल करके चुनिंदा क्षेत्रों में स्वैच्छिक आधार पर ई-रसीद जारी करने के लिए प्रायोगिक परियोजना का प्रस्ताव लाया जा सकता है।’

जानकारी के मुताबिक जीएसटी कानून के मुताबिक प्रावधान तैयार करने के लिए परिषद ने कानून समिति नामित की है। योजना के मुताबिक इसे मंजूरी मिलने के बाद जीएसटी (नेटवर्क) का उन्नयन करने की जरूरत होगी, जिसमें इसके लिए वाणिज्यिक मॉडल तैयार कर उसे अंतिम रूप दिया जाना शामिल है। इसके प्रायोगिक परीक्षण से कर विभाग को इसकी व्यावहारिकता के बारे में जानकारी मिल सकेगी। साथ ही भारत के संदर्भ में बी2सी ई-रसीद के असर के बारे में जाना जा सकेगा।

सू्त्रों का कहना है कि कर विभाग का विचार है कि बी2सी ई-रसीद लागू किए जाने से करदाताओं, ग्राहकों और कर प्रशासन को कुछ लाभ होने की संभावना है। इससे पर्यावरण संबंधी लाभ मिलेगा और डिजिटल रसीद जारी होने से कागज का इस्तेमाल घटेगा। इससे लेनदेन की लागत भी घटेगी और कारोबारियों के लिए यह लागत के हिसाब से बेहतर होगा। ग्राहक आसानी से अपने बिल की प्रामाणिकता की जांच कर सकेंगे।

भविष्य में विदेशी पर्यटकों के जीएसटी रिफंड के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अन्य अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि परिषद द्वारा इसे मंजूरी मिल जाने के बाद इसकी सीमा (बी2बी लेनदेन की तर्ज पर) तय की जा सकती है, लेकिन यह बाद में किया जाएगा क्योंकि अभी यह स्वैच्छिक कवायद होगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून में बिजनेस-टु-बिजनेस (बी2बी) कारोबार के लिए ई-रसीद का प्रावधान चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य किया गया है।

अक्टूबर 2020 में 500 करोड़ रुपये से ऊपर कारोबार करने वाले इंटरप्राइजेज के लिए पहली बाद ई-रसीद जारी करना अनिवार्य किया गया था। बाद में 1 जनवरी 2021 को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया। वहीं 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का बी2बी कारोबार करने वाली कंपनियों के ई-रसीद अनिवार्य कर दिया गया और 1 अप्रैल, 2022 से यह सीमा घटाकर 20 करोड़ रुपये की गई।

यह 1 अगस्त, 2023 से यह सीमा घटाकर 5 करोड़ रुपये तक कर दी गई । अधिकारी ने कहा कि खासकर 5 से 10 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले कारोबारियों पर ई-रसीद का नियम लागू करना अभी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

First Published - September 4, 2024 | 10:36 PM IST

संबंधित पोस्ट