छोटे व मझोले आकार के एक लाख से ज्यादा उद्यम वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ई-चालान के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसे 5 करोड़ रुपये से ऊपर का कारोबार करने वाली फर्मों के लिए अनिवार्य बनाया गया है।
ई-चालान व्यवस्था से तत्काल चालान बन जाता है। इसे वस्तुओं की खरीद पर आपूर्तिकर्ता बनाता है, जिससे इनपुट टैक्स क्रेडिट तक तेज पहुंच बन सके। इससे मानकी गड़बड़ियां और फर्जी क्रेडिट जैसी गड़बड़ियां कम हो जाती हैं, जो लेन-देन के पहले जारी किया जाता है। वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सामान्यतया उन कारोबारों में चूक की सूचना मिल रही है, जिनका कारोबार 5 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये के बीच है।’
उनके मुताबिक करीब 20 से 30 प्रतिशत उद्यम ऐसे हैं, जिनका कारोबार इस सीमा में है लेकिन वे ई-चालान के नियम का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। जीएसटी अधिकारी ऐसे उद्यमों को सूचना पत्र जारी कर रहे हैं और उन्हें अनुपालन करने के लिए कह रहे हैं, क्योंकि ऐसा न करने पर उन्हें अनुपालन न करने के परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
भारत में अप्रत्यक्ष कर के लिए शीर्ष निकाय केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 1 अगस्त से कारोबार की सीमा बदलकर 5 करोड़ रुपये कर दी है, जिससे कि और ज्यादा उद्यम इसके दायरे में आ सकें, जिनका कारोबार 5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच है।
इसके साथ ही अब सिर्फ सूक्ष्म उद्यम (एमएसएमई की परिभाषा के मुताबिक जिनका कारोबार 5 करोड़ रुपये से कम है) ही ई-चालान के दायरे से बाहर हैं।
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अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कारोबार की सीमा घटाने का मकसद छोटे कारोबार को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल करना है। हालांकि इस दायरे में आए छोटे व मझोले उद्यम या तो इसके बारे में जानते नहीं हैं, या कर अनुपालन से बच रहे हैं।’
उल्लेखनीय है कि चालान जारी न करना या गलत चालान जारी करना जीएसटी कानून के तहत अपराध है और इस पर बकाया कर का 100 प्रतिशत या 10,000 रुपये (जो भी ज्यादा हो) जुर्माना लगता है। गलत चालान जारी करने पर 25,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
इसके अलावा माल जब्त किया जा सकता है और आईटीसी दावों से इनकार किया जा सकता है। इससे ई-वे बिल भी प्रभावित हो सकता है। उद्योग के एक कार्यक्रम में सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी किएजाने को लेकर हम छोटे कारोबारियों को डराने का तरीका नहीं अपना रहे हैं।
ई-चालान की व्यवस्था से अनुपालन और पारदर्शिता में सुधार में मदद मिलती है और इससे त्रुटियों व मिलान में कमी आती है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘सीमा कम किए जाने से सुनिश्चित हो सकेगा कि मैनुअल रिपोर्टिंग की व्यवस्था नहीं रहेगी और इससे सिर्फ उचित इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकेगा।’
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करदाताओं को अपनी आंतरिक व्यवस्था या बिलिंग सॉफ्टवेयर में चालान बनाना होता है। उसके बाद उसकी सूचना इनवाइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (आईआरपी) पर देनी होती है। इसके बगैर आईटीसी का दावा नहीं किया जा सकता है। करीब 6 लाख कंपनियां हैं, जिनका कारोबार 5 से 20 करोड़ रुपये के बीच है।
वहीं करीब 2 लाख कंपनियों का कारोबार 20 से 50 लाख रुपये के बीच है। वित्तीय संस्थान जैसे बीमा, बैंकिंग और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, वस्तु एवं यात्री परिवहन सेवाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को ई-चालान से छूट है।