China dumping: भारत में चीन से उत्पादों की भारी मात्रा में आमद का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन, लीथियम-आयन बैटरी, सीरिंज तथा इस्पात जैसे चीन के कई उत्पादों पर अमेरिका का बढ़ा हुआ शुल्क 27 सितंबर से प्रभावी हो रहा है।
ऊंचे शुल्क के कारण अमेरिकी बाजार में चीन के उत्पादों की पहुंच घट रही है, ऐसे में इसकी चिंता बढ़ गई है कि चीन निर्यात के जरिये भारत और दूसरे बाजारों को अपने उत्पादों से पाट सकता है। इससे भारतीय उद्योगों खास तौर पर उन क्षेत्रों को चुनौती का समाना करना पड़ सकता है जहां चीन के उत्पाद पहले से ही कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को अपने उद्योगों की रक्षा के लिए सक्रियता से कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘सरकार को इन उत्पादों के दैनिक आयात पर नजर रखने के लिए वाणिज्य विभाग के अंतर्गत एक ‘वार रूम’ स्थापित करना चाहिए। इससे घरेलू बाजार में बेजा प्रतिस्पर्धा से देसी कारखानों को बचाने और चीन से सामान की डंपिंग का पता लगाकर उसे रोकने में मदद मिलेगी। समय पर हस्तक्षेप होगा तो भारत के विनिर्माण क्षेत्र को चीन की कंपनियों के सामने कड़ी टक्कर पेश करने में भी मदद मिलेगी।’अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले बाइडन सरकार द्वारा चीन के उत्पादों पर 7.5 से 100 फीसदी तक ऊंचा शुल्क लगाया गया है।
इस साल की शुरुआत में एक सरकारी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कहा था, ‘हमारे यहां व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) प्रणाली है, इसके साथ ही प्रभावी डंपिंग-रोधी प्रणाली भी है। ऐसे में अगर कोई अपने उत्पाद यहां डंप करना चाहेगा तो सभी संस्थागत तंत्र उस पर नजर रखेंगे। और हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।’
भारतीय स्टील संघ के महासचिव आलोक सहाय ने कहा, ‘पिछले साल देश में चीन से स्टील का निर्यात 91 फीसदी बढ़ गया था। इस साल भी इसमें तेजी आई है। इस साल चीन निर्यात पर ज्यादा ध्यान दे रहा है क्योंकि उनके सभी स्टील आयातक देशों ने चीनी स्टील पर बंदिशें लगा दी हैं लेकिन भारत जैसे देश में ऐसा कम ही देखा गया है। भारत में डंपिंग-रोधी शुल्क लगाने के लिए नुकसान को साबित करने की प्रक्रिया काफी लंबी है। हम सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं और वह हमारी मदद करने के लिए काम कर रही है।’
अगस्त के आयात-निर्यात के आंकड़ों के अनुसार चीन को भारत से होने वाला निर्यात 22.44 फीसदी घटकर 1 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 15.5 फीसदी बढ़कर 10.8 अरब डॉलर पहुंच गया।
सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी डी धनुराज ने कहा कि ईवी और सोलर पैनलों पर शुल्क बढ़ाने की अमेरिकी नीति से भारत और विकासशील देशों को फायदा नहीं होगा।
मगर इंडियन सोलर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विनी सहगल ने बताया कि मॉडल और विनिर्माताओं की स्वीकृत सूची के कारण चीन अपने पैनल भारत में डंप नहीं कर सकता है।