साइबर अपराधों पर काबू पाने के लिए सरकार जल्द ही ‘साइबर कमांडो’ के दस्ते तैयार करने जा रही है। हालांकि साल भर पहले से काम चल रहा है मगर अब इन्हें गृह मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडा में शामिल कर लिया गया है और जुलाई में आने वाले बजट में इनका ऐलान भी हो सकता है। गृह मंत्रालय इनके साथ ही साइबर दोस्त नाम की ऐप्लिकेशन भी तैयार कर रहा है, जिसके जरिये साइबर अपराधों की शिकायत करना बेहद आसान हो जाएगा।
साइबर कमांडो की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस विशेष प्रकोष्ठ में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल के साथ केंद्रीय पुलिस संगठनों के लोग भी होंगे। इन सभी को साइबर सुरक्षा और डिजिटल अपराध जांच का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। मगर ये साइबर पुलिस थानों में मिलने वाले कर्मियों से अलग होंगे और साइबर खतरों से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ काम करेंगे।
ऐसे प्रकोष्ठ के गठन की सलाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जनवरी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दी थी। बाद में अक्टूबर 2023 में गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 ‘साइबर कमांडो’ चुनने और उनकी जानकारी मंत्रालय को भेजने के लिए कहा था। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस स्पेशल यूनिट के अंतिम ब्योरे पर काम किया जा रहा है और काम पूरा हो गया तो बजट में इसका ऐलान भी कर दिया जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय भी साइबर अपराध के बारे में उपयोगकर्ताओं को जागरूक करने और इसकी जानकारी देने के लिए एक मोबाइल ऐप्लिकेशन ‘साइबरदोस्त’लाने पर काम कर रहा है। फिलहाल गृह मंत्रालय सोशल मीडिया मंच एक्स पर @साइबरदोस्त यूजर नाम से सोशल हैंडल चला रहा है ताकि साइबर अपराध के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इसे रोकने की कोशिश भी की जा सके।
मगर एक अधिकारी ने कहा, ‘मंत्रालय को लगता है कि इसके लिए अलग ऐप ज्यादा कारगर होगा। मगर अभी यह नहीं पता कि ऐप ऐंड्रॉयड के लिए होगा, ऐपल के लिए होगा या दोनों के लिए होगा।’ इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का गृह मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया।
यह कदम अहम है क्योंकि भारत में साइबर हमलों की संख्या बढ़ रही है। एक ऐप्लिकेशन सिक्योरिटी कंपनी इंडसफेस की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत की वेबसाइटों पर पिछले साल की तुलना में जनवरी और मार्च के बीच साइबर हमले में 261 प्रतिशत की भारी तेजी देखी गई, जबकि दुनिया भर में इनमें केवल 76 प्रतिशत तेजी आई है।
ग्रांट थॉर्नटन के भारत में अधिकारी (साइबर) अक्षय गार्कल के मुताबिक राज्य और केंद्र की कानून प्रवर्तन एजेंसियों में कर्मचारियों की संख्या अच्छी-खासी है और सभी में साइबर प्रकोष्ठ भी हैं। लेकिन साइबर हमलों के तरीके देखते हुए लगातार नई नीतियों और तौर-तरीकों पर काम करने की जरूरत है।
इंडसलॉ में पार्टनर श्रेया सूरी का कहना है, ‘भारत में अक्सर ऐसी समस्याओं पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की जाती है। खास इकाई बनेगी तो इस तरह की घटनाओं पर फौरन काम करने के लिए कारगर तंत्र बनेगा। यह निश्चित रूप से बेहतर कदम होगा।’