भारत का चालू खाता अधिशेष सितंबर 2020 को समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही) में सुधरकर 15.5 अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पााद का 2.4 प्रतिशत) हो गया है, जो वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में 19.2 अरब डॉलर (जीडीपी का 3.8 प्रतिशत) था। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का संतुलन 7.6 अरब डॉलर के घाटे में (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) था। 2020-21 की दूसरी तिमाही में चालू खाता अधिशेष कम होने की वजह वाणिज्यिक व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर होने की वजह से हुआ है, जो इसके पहले की तिमाही में 10.8 अरब डॉलर था।
इक्रा में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही में चालू खाता अधिशेष हमारी उम्मीदों से ज्यादा है, जो 13 से 14 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया था, जिसमें वाणिज्यिक कारोबार संतुलन संकरा होने और विदेश से धन आवक उम्मीद से ज्यादा बहाल होने की वजह थोड़ी कमी आई है। वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2020) में देश का चालू खाता अधिशेष जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रहा, जबकि व्यापार घाटे में तेज संकुचन की वजह से वित्त वर्ष 20 की पहली छमाही में 1.6 प्रतिशत का घाटा हुआ था।
नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 21 में भारत का चालू खाता संतुलन 35 से 40 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है, जो जीडीपी का 1.5 प्रतिशत होगा। सेवा क्षेत्र में कारोबार का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि शुद्ध सेवा प्राप्तियां सालाना आधार पर बढ़ी है, खासकर कंप्यूटर सेवाओंं से ज्यादा शुद्ध कमाई होने की वजह से ऐसा हुआ है। निजी स्थानांतरण प्राप्तियां, खासकर विदेश में काम करने वाले भारतीयों से आने वाले धन में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है। लेकिन वित्त वर्ष 20-21 की दूसरी तिमाही में यह पहली तिमाही से 12 प्रतिशत बढ़कर 20.4 अरब डॉलर हो गया।
वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में भारत में वाह्य वाणिज्यिक उधारी का शुद्ध प्रवाह 4.1 अरब डॉलर रहा, जबकि एक साल पहले यह 3.1 अरब डॉलर था। विदेशी मुद्रा भंडार में 31.6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है (भुगतान के संतुलन के आधार पर), जो 2019-20 की दूसरी तिमाही में 5.1 अरब डॉलर हुई थी। रिजर्व बैंक ने कहा है कि प्राथमिक आय खाते से शुद्ध निकासी, जिससे प्राथमिक रूप से शुद्ध विदेशी निवेश आय भुगतान का पता चलता है, बढ़कर 9.3 अरब डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले 8.8 अरब डॉलर था।