वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 69 तिमाही के निचले स्तर 3.1 फीसदी पर आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उद्योग जगत को भरोसा जताया कि भारत निश्चित तौर पर तेज विकास की राह पर लौटेगा। साथ ही उन्होंने वादा किया कि उनकी सरकार उद्योगों के सुझावों के आधार पर आगे भी सुधार करेगी।
मोदी ने उद्योगों से अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन कर सामने आने की अपील की। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की 125वीं सालाना आम बैठक में उन्होंने कहा, ‘हम साथ मिलकर बड़े संरचनात्मक सुधार ला सकते हैं जो हमारे देश में व्यापक बदलाव लाएंगे।’
मोदी ने कहा कि कोरोनावायरस की वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर भले ही ब्रेक लगाा हो लेकिन देश लॉकडाउन के चरण को पीछे छोड़ चुका है और अनलॉकिंग के पहले चरण में प्रवेश कर गया है।
अनलॉक-1 में अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खुल चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 8 जून से और भी चीजें खुल जाएंगी। इसका मतलब है कि वृद्धि की राह पर लौटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि देश भर में 1 जून से अनलॉक-1 लागू होगा, जिसमें व्यापक स्तर पर ढील दी जाएगी। शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट, धार्मिक स्थल आदि भी खोलने की अनुमति होगी। हालांकि कंटेनमेंट जोन में 30 जून तक सख्ती जारी रहेगी।
प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय आया है जब विभिन्न विश्लेषकों ने चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में करीब सात फीसदी तक संकुचन आ सकता है। 2019-20 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी रही।
प्रधानमंत्री ने उद्योग के सदस्यों से कहा, ‘आपमें से कई लोग मुझसे सवाल कर सकते हैं कि संकट की इस घड़ी में मैं इतना आश्वस्त क्यों हूं। इसकी कई वजह हैं। मुझे भारत की क्षमता और संकट के प्रबंधन पर पूरा भरोसा है। मुझे भारत की प्रतिभा और तकनीक पर भरोसा है। मुझे देश के किसानों, एमएसएमई, उद्यमियों और उद्योग के दिग्गजों पर भरोसा है।’
उन्होंने उद्योग जगत से मेक इन इंडिया उत्पादों को वैश्विक उत्पाद बनाने में मदद की अपील की। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आयात बिल भी कम होगा। उन्होंने उद्योग से इसे हासिल करने के लिए लक्ष्य तय करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फर्नीचर, एयर कंडीशनर और चमड़ा तथा जूते-चप्पल पर काम शुरू हो चुका है। देश में कुल एयर कंडीशनरों की मांग का करीब 30 फीसदी आयात किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोनावायरस से देश के लोगों की जान बचाना जरूरी है, वहीं अर्थव्यवस्था को स्थायित्व देना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्रों के लिए खुला है और अन्य क्षेत्रों में भी अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जहां गरीबों को लाभ पहुंचा गया, वहीं सरकार ने निजी उद्यमों को भी प्रोत्साहित करने के लिए ईको-सिस्टम बनाया है।
पहले जिन क्षेत्रों में निजी क्षेत्र को अनुमति नहीं थी, उसे भी खोला गया है। निजी क्षेत्र के लिए वाणिज्यिक स्तर पर कोयला खनन की अनुमति देने का भी उन्होंने उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भावी विकास के लिए लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि अर्थव्यवस्था वैश्विक आपूर्ति शृंखला से एकीकृत होगी। हालंकि रणनीतिक क्षेत्रों में दूसरे पर निर्भरता नहीं रखने पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सही मायने में सुदृढ़ उपक्रम बनाने के बारे में है, जो दुनिया भर में भारत की पहचान बन सके। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं और व्यापक सुधार किए हैं।
मोदी ने कहा, ‘हमने सरकार के नियंत्रण को कम करने पर जोर दिया है और निजी उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवस्था बनाई है। चाहे वह ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता हो या बैंकों का विलय या फिर वस्तु एवं सेवा कर को लागू करना।’ उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी देना और प्रस्तावित श्रम सुधार पर इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को प्रोत्साहित करने के लिए कई सुधार किए गए हैं और इसकी परिभाषा को भी बदला गया है। 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद में वैश्विक निविदा पर रोक लगाने का भी निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की नीति एमएसएमई के इंजन को गति देने का काम करेगी। उद्योग जगत को भरोसा देते हुए उन्होंने कहा, ‘आप दो कदम उठाएंगे, हम चार कदम उठाएंगे।’
