वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि हमें ऐसे षड्यंत्रों से सावधान रहना होगा, जिनमें यह प्रचार किया जा रहा है कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत सुरक्षित जगह नहीं है और भारतीय एजेंसियां उन्हें सुरक्षा गारंटी नहीं दे सकतीं। सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए लोक सभा में कहा, ‘यह बहुत दुख की बात है कि एक षड्यंत्र के तहत भारत में निवेश को लेकर दुनिया भर में गलत बातें फैलाई जा रही हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि उद्यमियों को ही विलेन बनाया जा रहा है। कठिन परिश्रम करने वाले उद्यमी इस देश को मजबूत बना रहे हैं। विदेशी निवेशकों की सुरक्षा को लेकर चल रहा षड्यंत्र इसी उभरती उद्यमशीलता की संस्कृति को खत्म करने का प्रयास है। उन कंपनियों के खिलाफ नकारात्मकता फैलाई जा रही है, जो वास्तव में कारोबार करना चाह रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय के कारण ही कोविड महामारी के बाद भारत ने ऊंची वृद्धि हासिल की है। इसी वजह से आज हमारा देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में किसी राज्य का नाम नहीं होने का मतलब यह नहीं है, उसे कोई आवंटन नहीं हुआ है। सीतारमण ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष के लिए कुल 48.21 लाख करोड़ रुपये के बजट में सामाजिक और भौगोलिक समावेश पर जोर है। यानी हर वर्ग और क्षेत्र का ध्यान दिया गया है।’
सीतारमण ने कहा, ‘हमारी आर्थिक वृद्धि न केवल बेहतर है, बल्कि हम राजकोषीय घाटे को कम करने के रास्ते पर भी हैं।’ उल्लेखनीय है कि 2023-24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है और भारत ने दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख देश का दर्जा बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा, ‘हम राजकोषीय मजबूती के तहत 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका श्रेय बेहतर अर्थव्यवस्था प्रबंधन को जाता है।’ वित्त मंत्री ने विपक्षी दलों के सामाजिक क्षेत्रों के लिए आवंटन कम करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बजट दस्तावेज इसके उलट बयां करता है। शिक्षा क्षेत्र के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले वित्त वर्ष से ज्यादा है।
बीच-बीच में हिंदी में चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, ‘विपक्षी सदस्यों ने कहा कि बजट में केवल दो राज्यों को पैसा दिया गया है। यह कुछ और नहीं, बल्कि लोगों को गुमराह करने का काम है।’ उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2004-25 के बजट में 17 राज्यों का नाम नहीं था। इसके उलट तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पेश किए गए वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में 19 राज्यों का जिक्र नहीं था। इसके बाद वित्त वर्ष 2014-15 के बजट भाषण में 10 राज्यों का उल्लेख नहीं किया गया था।’ सीतारमण ने कहा, ‘यह सबको पता है कि तत्कालीन संप्रग सरकार की गलत नीतियों से महंगाई दहाई अंक के करीब चली गई थी, लेकिन आज यह काफी हद तक नियंत्रण में है। यह सरकार की बेहतर नीतियों का नतीजा है।’
हलवा रस्म पर राहुल को भी घेरा
बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी पलटवार किया और कहा कि हलवा समारोह बजट की तैयारी का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है और इसकी आलोचना इससे जुड़े कर्मचारियों का ‘अपमान’ है। उन्होंने कहा, ‘हलवा समारोह उस समय से चल रहा है जब से वित्त मंत्रालय का प्रिंटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करता था। हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है। इसकी आलोचना करना बजट की तैयारियों से जुड़े कर्मचारियों का मजाक उड़ाना और उनका अपमान करना है।’
राहुल गांधी ने सोमवार को बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया था कि 20 अधिकारियों ने देश का बजट बनाने का काम किया है, लेकिन इनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक एवं एक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) हैं और उनमें एक भी दलित एवं आदिवासी नहीं हैं। इसके साथ ही राहुल ने बजट से पहले की हलवा रस्म का जिक्र करते हुए कहा था, ‘इस सरकार में दो-तीन प्रतिशत लोग ही हलवा तैयार कर रहे हैं और उतने ही लोग हलवा खा रहे हैं तथा शेष हिंदुस्तान को यह नहीं मिल रहा है।’