वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बताया कि सरकारी कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दों पर गठित समिति का नेतृत्व वित्त सचिव टीवी सोमनाथन करेंगे। कई राज्य नई पेंशन योजना (एनपीएस) को छोड़कर पुरानी पेंशन की ओर रुख कर रहे हैं। इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने पेंशन के मुद्दों पर समिति गठित की है।
लोकसभा में वित्त विधेयक की चर्चा के दौरान सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं कर्मचारियों की पेंशन के मुद्दों और कर्मचारियों की जरूरतों के मुताबिक एप्रोच विकसित करने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का प्रस्ताव करती हूं।’’ वे वित्त विधेयक के 10 उपबंधों पर अपनी राय व्यक्त करना चाहती थीं लेकिन उन्होंने केवल समिति गठित करने की घोषणा की। इसका कारण यह था कि लोकसभा ने बिना चर्चा के इस विधेयक को पारित कर दिया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह एप्रोच केंद्रीय सरकार और राज्यों सरकारों दोनों को स्वीकार करने के लिए बनाई जाएगी।’’
बाद में वित्त सचिव सोमनाथन ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि यह समिति सभी संबंधित साझेदारों के मुद्दों पर विचार करने का प्रयास करेगी। हालांकि इस समिति के गठन, सदस्यों और उनकी अवधि के बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
हाल के समय में कई गैर भाजपा राज्यों ने महंगाई भत्ते से जुड़ी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को स्वीकार करने की घोषणा की है। इसके अलावा कई राज्यों में कर्मचारी संगठन भी पुरानी पेंशन योजना के लिए आवाज उठाने लगे हैं।
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार को अपने फैसले के बारे में सूचित किया है कि वे पुरानी पेंशन योजना में लौटना चाहते हैं। इन राज्यों ने एनपीएस के तहत संचित कोष को वापस करने की मांग की है। पुरानी पेंशन योजना सेवानिवृत्ति के बाद फिक्सड पेंशन मुहैया करवाती है। इसमें पेंशन की राशि अंतिम लिए गए वेतन का 50 फीसदी होती है। हालांकि एनपीएस निवेश कम पेंशन योजना है।
एनपीएस का योगदान प्रतिभूतियों जैसे ऋण और इक्विटी में निवेश किया जाता है। लिहाजा एनपीएस फिक्स्ड पेंशन की गारंटी नहीं देता है। लेकिन दीर्घावधि में अधिक प्रतिफल मुहैया करवाती है। इससे एकमुश्त राशि और मासिक पेंशन मिलती है।