नारियल तेल पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर शुक्रवार की जीएसटी परिषद की बैठक में फैसला हो सकता है। फिटमेंट पैनल इसके कंटेनर का आकार निर्धारित कर ‘खाने वाले नारियल तेल’ और ‘हेयर ऑयल’ में अंतर कर सकता है। सरकार का मानना है कि हेयर ऑयल और खाद्य तेल में वर्गीकरण को लेकर भ्रम के कारण राजस्व का नुकसान हो रहा था।
सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि केंद्र व राज्य के अधिकारियों से बने फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि जब नारियल तेल 1,000 मिलीलीटर से कम के कंटेनर में बेचा जाता है तो उसे हेयर ऑयल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा सकता है, चाहे इसका अंतिम उपभोक्ता कोई भी हो। वहीं अगर नारियल तेल 1,000 मिलीलीटर या इससे ज्यादा के डिब्बे में बिकता है तो उसे खाद्य तेल माना जाएगा और उस पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा पाया गया है कि तमाम ब्रॉन्ड अपने पैक पर हेयर ऑयल का उल्लेख नहीं करते और सिर्फ उसे नारियल तेल लिखते हैं। इसकी वजह से राजस्व का नुकसान होता है। इसलिए यह फैसला किया गया है कि कंटेनर के आकार के हिसाब से जीएसटी लगाया जाए और इसके अंतिम उपभोक्ता पर ध्यान न दिया जाए। ज्यादातर खाद्य तेल की बिक्री 1 लीटर के बोतल में होती है, ऐसा हेयर ऑयल के मामले में नहीं होता है।’
प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि जीएशटी परिषद इस मामले में समग्र के हिसाब से विचार कर सकती है और दरों को तार्किक बना सकती है, जिस पर कुछ समय से चर्चा हो रही है। जैन ने कहा कि अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी से उबरने के चरण में है। ऐसे में संभवत: जीएसटी दरें बढ़ाने के लिए यह सही वक्त नहीं होगा, जिसकी व्यापक खपत होती है।
विशेषज्ञों का तर्क है कि कंटेनर के आकार के आधार पर वर्गीकरण शायद उचित नहीं रहेगा क्योंकि कई ब्रॉन्ड खाद्य तेल की बिक्री 500 एमएल की बोतल में भी करते हैं। इसके अलावा गलत इनवाइसिंग की भी संभावना है। एक कर सलाहकार ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘इस बात की संभावना बढ़ सकती है कि 200 या 500 मिलीलीटर की बोतल की पर्ची गलत तरीके से 1 लीटर में काटी जाए, जिससे 5 प्रतिशत जीएसटी दर सुनिश्चित हो सकें।’