मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि केंद्र द्वारा ग्रामीण आवास और जलापूर्ति संबंधी बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया है, जिससे ग्रामीण इलाके में रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में कम आवंटन की भरपाई इन योजनाओं से हो जाएगी।
दिल्ली के एक पॉलिसी थिंक टैंक की बजट के बाद बैठक के दौरान नागेश्वरन ने कहा कि महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के पास राजनीतिक पूंजी है, लेकिन बाजार की परिस्थितियां प्रतिकूल होने और निवेशकों की रुचि न होने के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘मनरेगा में आवंटन कम किए जाने की एक वजह यह है कि पीएम आवास योजना और जल जीवन मिशन पर आवंटन बढ़ाया गया है, जो गांवों की योजनाएं हैं। उम्मीद यह है कि ग्रामीण कामगारों को इन परियोजनाओं में काम मिल सकेगा और इस तरह से मनरेगा में काम की मांग कम रहेगी।’उन्होंने कहा कि अगर कामगारों को इन योजनाओं में पर्याप्त काम नहीं मिल पाता है तो मनरेगा मांग से संचालित कार्यक्रम है और हम मनरेगा में आवंटन बढ़ाकर उन्हें समायोजित कर सकते हैं।
सीईए ने यह भी कहा कि नॉमिनल व वास्तविक जीडीपी की वृद्धि सुधरी है। शहरी इलाकों में नौकरियों का सृजन हुआ है, जिसकी वजह से ग्रामीण इलाकों के कार्यबल को रोजगार मिला है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये बजट का आवंटन किया गया है, जो वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 32 प्रतिशत कम है। वित्त वर्ष 23 का संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये और बजट अनुमान 73,000 करोड़ रुपये था।