भारत सरकार के बंदरगाहों (प्रमुख बंदरगाहों) में अक्टूबर के दौरान कार्गो की आवाजाही सालाना आधार पर कम दर्ज हुई। सरकारी आंकड़ों से इस विचित्र गिरावट की जानकारी मिली है।
देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों में पोतों की आवाजाही बीते महीने की तुलना में 3.2 प्रतिशत गिरकर 682.2 लाख टन हो गई। लगभग एक चौथाई कार्गो की आवाजाही इन तटीय जहाजरानी से होती है। इन बंदरगाहों पर अक्टूबर में विदेशों से आना वाला कार्गो 5.5 प्रतिशत गिरकर 529 लाख टन हो गया। हालांकि भारत के तटीय समुद्री इलाकों से घरेलू कार्गो 5.3 प्रतिशत बढ़कर 159 लाख टन हो गया।
कुल कार्गो में कच्चे तेल का पांचवां हिस्सा है। कच्चे तेल की आवाजाही 8.8 प्रतिशत गिरकर 129 लाख टन हो गई जबकि सभी पेट्रोलियाम उत्पादों की मात्रा में भी गिरावट आई। बंदरगाहों के लिए सर्वाधिक राजस्व अर्जित करने वाले जिंसों में से एक कोयले के कार्गो में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की गिरावट आई। कोयले की आवाजाही में गिरावट गैर तापीय कोयले के कार्गो में बड़ी गिरावट आने के कारण हुई।
अक्टूबर में त्योहारी मौसम के दौरान खपत बढ़ने से आमतौर पर अधिक सामान की आपूर्ति होती है। हालांकि सरकारी बंदरगाहों में कंटेनर की आवक लगभग सपाट (-0.2 प्रतिशत) थी।
इसके विपरीत भारत का वस्तु निर्यात 28 महीने के उच्च स्तर 17 प्रतिशत की दर से बढ़ा। इसका प्रमुख कारण यह था कि क्रिसमस और नया साल करीब आने के कारण पश्चिम के देशों में इंवेंटरी तेजी से बढ़ना था। हालांकि देश में निजी स्वामित्व वाले बंदरगाहों में कार्गो 5.7 प्रतिशत बढ़कर 642 लाख टन हो गया। इसमें निर्यात-आयात कार्गो (एक्जिम) 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। निजी बंदरगाहों में कंटेनर की आवाजाही 21.5 प्रतिशत बढ़ी। यह दर्शाता है कि निजी बंदरगाहों ने त्योहारी मौसम में अधिक लाभ कमाया।