वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2025 के लिए केंद्र के पूंजीगत खर्च लक्ष्य को वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान के मुकाबले 16.9 प्रतिशत बढ़ाकर 11.1 लाख करोड़ रुपये कर दिया। वैश्विक चुनौतियों के बीच सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास में इस लक्ष्य को काफी बढ़ाया गया है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़े और बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि हालांकि यह महामारी के बाद पूंजीगत व्यय में वृद्धि की रफ्तार में सुस्त का संकेत माना जा सकता है, खासकर वित्त वर्ष 2014 में 28.4 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में, लेकिन कुल खर्च के प्रतिशत के तौर पर पूंजीगत खर्च की भागीदारी वित्त वर्ष 2025 में 23.3 प्रतिशत को छू सकती है, जो 1994-95 के बजट के बाद से सर्वाधिक है।
हालांकि सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में पूंजीगत खर्च 50,715 करोड़ रुपये तक घटाकर 9.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया। लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र द्वारा वित्त वर्ष 2024 के लिए संशोधित लक्ष्य पूरा किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि सरकार ने दिसंबर तक सिर्फ 6.7 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसका मतलब है कि सरकार को मार्च तिमाही में 2.76 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत होगी, जो संशोधित लक्ष्य का 29 प्रतिशत है।
केयरएज रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘पूंजीगत खर्च-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2025 में बढ़ाकर 3.4 प्रतिशत किया गया है जो महामारी से पहले के वर्षों में 2 प्रतिशत से कम था। बजट आवंटन के तहत सड़कों और राजमार्गों पर ध्यान बना रहेगा। चुनावी वर्ष होने के बावजूद, पूंजीगत खर्च अनुकूल बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता स्वागतयोग्य कदम है।’
राज्यों के लिए सड़क एवं राजमार्ग, रक्षा और ब्याज मुक्त पूंजीगत ऋण वित्त वर्ष 2025 में पूंजीगत खर्च के लिए मुख्य मद हैं। बजट में राज्यों के लिए 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण को वित्त वर्ष 2025 में 1.3 लाख करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित रखा गया है। यह योजना इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा देने और राज्यों को पूरक नीतिगत कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ वित्त वर्ष 2023 में शुरू की गई थी।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के तौर पर वित्त वर्ष 2025 के लिए 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इससे राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमों को मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए राज्यों में कई वृद्धि एवं विकास आधारित सुधारों की जरूरत है।’ हालांकि वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने बजट के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में यह स्पष्ट किया कि 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन राज्यों को की जाने वाली 1.3 लाख करोड़ रुपये की ब्याज मुक्त पूंजीगत खर्च सहायता का हिस्सा होगा।
येस सिक्योरिटीज में कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा कि सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर बना हुआ है, हालांकि बाजार की उम्मीद के मुकाबले इसकी रफ्तार धीमी पड़ी है। उन्होंने कहा, ‘राज्यों को लगातार ब्याज मुक्त ऋण देने और उन्हें पूंजीगत खर्च के लिए प्रोत्साहित करने से वृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ेगा।’