भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट की रफ्तार कम होने के बाद उद्योग जगत और अर्थशास्त्रियों दोनों को अब आने वाले महीनों में मांग में सुधार की उम्मीद है। लेकिन अर्थव्यवस्था पूरी तरह सुधरने में कम से अभी एक और वर्ष का समय लग सकता है। दूसरी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट करीब 7.5 प्रतिशत रही है। यह आंकड़ा इसलिए बेहतर माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले जीडीपी में 10 प्रतिशत गिरावट का अंदेशा जताया जा रहा था।
राष्ट्रीय लोक वित्त संस्थान के पूर्व निदेशक गोङ्क्षवद राव के अनुसार पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत गिरावट आने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को 2019 के स्तर पर पहुंचने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हम यह कह सकते हैं कि स्थिति बेहतर हुई है। अब यह उम्मीद की जा सकती है कि तीसरी और चौथी तिमाही में भी हालत सुधरते जांएंगे। हालांकि अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा झटका लगा है कि हालात सामान्य होने में वक्त तो लगेगा।’
टाटा पावर में मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा के अनुसार उद्योग जगत में बिजली की मांग बढ़ी है, लेकिन व्यावसायिक मांग रफ्तार नहीं पकड़ पाई है। सिन्हा ने कहा, ‘बिजली की मांग महामारी से पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है, लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पा रही है। आने वाले महीनों में बिजली की मांग में तेजी की उम्मीद है।’
