वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने जीएसटी (GST) परिषद की तर्ज पर एक रोडटेप (निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट) परिषद की स्थापना की सिफारिश की है। योजना के तहत यह दरों की आवधिक समीक्षा करके कर ढांचे में कम अवधि और मध्यावधि के हिसाब से एक खाके को परिभाषित करेगी।
स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, ‘समिति ने पाया है कि राजस्व विभाग में गठित समिति द्वारा (ए) रोडटेप योजना के प्रावधानों का मूल्यांकन महत्वपूर्ण है। यह समिति को निर्यात क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुसार दरों को युक्तिसंगत बनाने के सुझावों के साथ निर्धारित दरों के पीछे तर्क और उद्योगों के निर्यात प्रदर्शन पर इसके प्रभाव की ठीक से जांच करने की सिफारिश करती है।’
इसने कहा, ‘समिति आगे सिफारिश करती है कि विभाग को जीएसटी परिषद की तर्ज पर एक रोडटेप परिषद की स्थापना की व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए, जो योजना के तहत दरों की आवधिक समीक्षा सुनिश्चित करके दर संरचना में लघु और मध्यम अवधि के परिवर्तनों के लिए एक रोडमैप को परिभाषित करेगा।’
रोडटेप दरें निर्यात मूल्य के 0.5-4.3 फीसदी से भिन्न होती हैं और शुरुआत में इसमें समुद्री, कृषि, चमड़ा, रत्न और आभूषण, ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसे क्षेत्र शामिल थे। जबकि इस्पात, फार्मास्युटिकल, रसायन जैसे क्षेत्रों में निर्यातकों को शुरू में योजना से बाहर रखा गया था।
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वाणिज्य मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि 15 दिसंबर, 2022 से ऐसी वस्तुओं को भी योजना से लाभ होगा, इस प्रकार पात्र निर्यात वस्तुओं की सूची 8,731 से बढ़कर 10,342 हो जाएगी। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 23 में रोडटेप योजना के लिए 14,245 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 22 में 12,454 करोड़ रुपये था।