भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 15 नवंबर को समाप्त हुए हफ्ते में 17.76 अरब डॉलर की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट दर्ज हुई। इससे विदेशी मुद्रा भंडार चार महीने के सबसे निचले स्तर 657.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी नवीनतम आंकड़ों में दी गई।
अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और भारत के केंद्रीय बैंक के डॉलर बेचने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई। भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में उतार-चढ़ाव सीमित करने के लिए डॉलर की बिक्री की थी।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने बताया, ‘भारतीय रिजर्व रुपये को बचाने के लिए बीते तीन महीनों से डॉलर की बिक्री कर रहा है। इसके अलावा अगस्त और अक्टूबर के आयात के आंकड़े दर्शाते हैं कि हमारा आयात भी निरंतर बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में डॉलर की खरीद से अधिक बिकवाली हो रही है और निर्यातक भी अपनी प्राप्तियों को हासिल नहीं कर पा रहे हैं।’
इससे पहले विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट 24 अक्टूबर, 2008 को हुई थी और उस समय इस हफ्ते में 15.5 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज हुई थी। विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर, 2024 को रिकॉर्ड उच्च स्तर 705 अरब डॉलर छूने के बाद निरंतर सातवें सप्ताह गिरा है।
जन स्मॉल फाइनैंस बैंक में ट्रेजरी और कैपिटल मार्केट के प्रेसिडेंट व प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा, ‘अमेरिकी डॉलर के अत्यधिक मजबूत होने के कारण अन्य विदेशी मुद्राओं व सोने में गिरावट आई और हम इसमें विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं। इसमे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई। डॉलर सूचकांक पहले 103-104 के करीब था और यह चढ़कर 107.5 पर पहुंच गया। इससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति और खराब हो गई। इसके अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी रुपये में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए डॉलर की बिकवाली कर रहा है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में और गिरावट हुई।’
डॉलर के मुकाबले रुपया 15 नवंबर, 2024 को समाप्त हुए सप्ताह में बीते सप्ताह की तुलना में 0.04 प्रतिशत गिर गया। इस महीने में अभी तक डॉलर के मुकाबले रुपया 0.46 प्रतिशत गिर गया है।
सितंबर में यूएस फेडरल के ब्याज चक्र में कटौती की शुरुआत करने के बाद भारतीय रुपया दबाव में रहा। इनके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने, विदशी निवेशकों की धन निकासी, मार्केट करेंसियों पर बढ़ते दबाव के कारण रुपये पर दबाव बढ़ा। इस अवधि में एशिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये ने डॉलर के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया।
अमेरिका में चुनाव के बाद डॉलर मजबूत हुआ है। इसके अलावा इस सप्ताह में यूरो और ब्रिटेन का पाउंड कमजोर हुआ। करूर वैश्य बैंक के ट्रेजरी प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने बताया, ‘इस समीक्षआ अवधि के दौरान तीन प्रमुख कारणों से विदेशी मु्द्रा भंडार में तेजी से गिरावट हुई। इसमें इक्विटी और ऋण से विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी, सोने के दाम में गिरावट (ये डॉलर मूल्य वर्ग वाले हैं) और डॉलर के मुकाबले यूरो और ब्रिटेन के पाउंड सहित प्रमुख मुद्राओं का कमजोर होना है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘अत्यधिक उतार-चढ़ाव होने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक का रुपये को गिरने से बचाने और पुन: मूल्यांकन के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट हुई। इसके अलावा सोने के दाम में गिरावट होने से भी भंडार पर असर पड़ा। इसका कारण यह है कि हमारे मुद्रा भंडार में पर्याप्त अनुपात इस पीली धातु का है।’