रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परिसंपत्ति वर्गीकरण के नियमों का पालन करने की सलाह बैंकों को दी है।
इसके अलावा 31 मार्च को दाभोल पावर प्रोजेक्ट के नाम से पहचानी जाने वाली रत्नागिरी गैस और पावर प्राइवेट लिमिटेड (आरजीपीपीआई) को गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) के तौर पर चिह्नित करने की सलाह दी है।
ऐसा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के पास कंपनी द्वारा नए टैरिफ प्लान जमा करने के बावजूद किया गया है। बैंक से जुड़े जिन सूत्रों को इस गतिविधि का पूरा अंदाजा है, उनका कहना है कि सरकार का यह विचार है कि बैंक के बही खाते की कुल निवेशित राशि 7500-8000 करोड़ रुपये की पुनर्संरचना टैरिफ प्लान के मुताबिक स्टैंडर्ड परिसंपत्ति के तौर पर किया जाना चाहिए।
सरकार ने अपने विचारों को आरबीआई से भी अवगत कराया है। आरबीआई का ऐसा मानना है कि अगर एक बार एनपीए की मुहर लग गई तो कम से कम एक साल तक यह ऐसा ही बना रहेगा। लोन के लिए नियम और शर्त सभी बैंकों के लिए समान ही रहेंगी जिन्होंने प्रोजेक्ट फाईनैंस के लिए फंड उधार दिया है। अलग-अलग बैंकों के लिए परिसंपत्ति का वर्गीकरण अलग नहीं हो सकता है।
अगर कोई बैंक परिसंपत्तियों का वर्गीकरण एनपीए के तौर पर करने की तारीख से एक साल तक अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन पर संतुष्ट रहेंगे तो ,स्टैंडर्ड परिसंपत्ति के तौर पर इसकी पुनर्संरचना फिर से हो सकती है।
सूत्रों की मानें तो मौजूदा वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए आरबीआई यह चाहती है कि परिसंपत्तियों का वर्गीकरण एनपीए के तौर पर हो। फिलहाल दो बैंकों जिसमें के नरा बैंक शामिल है उसको एनपीए के तौर पर चिह्नित किया गया है।
ऐसे में आरबीआई का कहना है कि जब दो बैंकों ने पहले से ही परिसंपत्तियों का एनपीए के तौर पर वर्गीकरण किया है तो इसी तरह के लोन की समान स्थिति रहने पर दूसरों को भी इन समान नियमों का पालन करना पड़ेगा।
अधिकारियों का कहना है कि केनरा बैंक का निवेश लगभग 350 करोड़ रुपये है और 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष इस परिसंपत्ति को एनपीए के तौर पर चिह्नित किया गया। पिछले साल अगस्त में आरबीआई के जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक परिसंपत्तियों की पुनर्संरचना की सबसे कसौटी प्रोजेक्ट की वित्तीय वैधता थी।
ऐसा कहा जाता है, ‘जब तक बैंकों की वित्तीय व्यावहार्यता स्थापित नहीं हो जाती तब तक किसी भी खाते की पुनर्संरचना बैंकों के जरिए नहीं की जाएगी। वैसे पुनर्संरचना के पैकेज की शर्तो के मुताबिक उधार्रकत्ता द्वारा भुगतान की सुनिश्चितता बनी रहेगी।’ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई और केनरा बैंक जैसे चार बैंक कंपनी के पास हैं।
सरकार के पास पुनर्संरचना का प्रस्ताव जमा किया गया है जिसमें प्रोजेक्ट के पावर की बिक्री के लिए टैरिफ में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है। सीईआरसी से स्वीकृति मिलने के बाद प्रोजेक्ट के व्यवहार्य होने की उम्मीद की जा रही है।
आरजीपीपीएल ने पहले आयोग से संपर्क साधा था ताकि कंपनी, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल)को ऊंची कीमत पर 2,150 मेगावॉट की दाभोल पावर प्लांट की बिजली को बेचने की इजाजत मिले।
