उच्चतम न्यायालय ने इनपुट टैक्स रिफंड पर बंदिशों को सही ठहराने वाला मद्रास उच्च न्यायालय का एक आदेश बहाल रखा है। यह मामला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में इन्वर्टेड ड्यूटी ढांचे से जुड़ा है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद कंपनियां सेवाओं के इस्तेमाल पर इनपुट टैक्स रिफंड का लाभ नहीं ले पाएंगी।
इस आदेश से दवा, उर्वरक, फुटवियर और परिधान उद्योग के लिए नकदी की दिक्कत पैदा हो सकती है। इन्वर्टेड ड्यूटी व्यवस्था के तहत कंपनियों को तैयार माल की तुलना में कच्चे माल पर अधिक कर भुगतान करना पड़ता है।
इसी मामले में उच्चतम न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय का आदेश खारिज कर दिया। मद्रास और गुजरात की अदालतों ने विरोधाभासी आदेश दिए थे। मद्रास उच्च न्यायालय ने सीजीएसटी के तहत सरकार द्वारा लाए गए प्रावधान 89 (5) को वैध ठहराया था। इस प्रावधान के तहत इनपुट टैक्स रिफंड पर रोक को उचित ठहराया गया था। दूसरी तरफ गुजरात उच्च न्यायालय ने यह प्रावधान खारिज कर दिया था।
जीएसटी परिषद ने दूरसंचार उद्योग सहित कई कपनियों के लिए इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याएं दूर करने की कोशिश की है मगर परिधान, फुटवियर, दवा एवं उर्वरक उद्योग के लिए इससे जुड़ी समस्या कायम है। सरकार ने 2018 में एक नया प्रावधान लाकर उस पुरानी व्यवस्था में संशोधन कर दिया था जिसके तहत पहले सभी तरह के क्रेडिट लेने की अनुमति दी गई थी। पुरानी व्यवस्था में यह मायने नहीं रखता था कि कर का भुगतान वस्तु पर हुआ है या सेवा के मद में।ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने प्रावधान में इनपुट टैक्स रिफंड की गणना के तरीके में त्रुटि पाई है जीएसटी परिषद को इस पर विचार करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा, ‘उद्योग जगत इस बात की उम्मीद करेगा कि सरकार इस त्रुटि पर ध्यान देगी और इनपुट टैक्स रिफंड की गणना का तरीका बदलेगी।’ जैन ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने मद्रास और गुजरात उच्च न्यायालयों के आदेशों से पैदा हुई असमंजस की स्थिति दूर कर दी है।